Deependra Singh Hooda: हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी नेताओं की लड़ाइयां सामने आने लगी हैं। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी में विरोधियों के निशाने पर आ चुके हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, की जीत की तमाम उम्मीदों के बाद भी हरियाणा में कांग्रेस को हार मिली। इस हार के बाद से ही कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व के सकते में आ चुका है। पार्टी ने हार के लिए जिम्मेदार नेताओं और कारणों की खोज करना शुरू कर दी है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में तमाम विपरीत हालात के बाद भाजपा ने जीत हासिल की और लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाई।
कारणों की तलाश-
पार्टी ने एक बार फिर से नायाब सैनी को मुख्यमंत्री पद दिया और नई सरकार ने शपथ लेकर कामकाज भी शुरू कर दिया है। सैनी के साथ 13 मंत्रियों ने शपथ ली। कांग्रेस ने हार के कारणों की तलाश के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी की दो सदस्यों की कमेटी बनाई। इस कमेटी का काम है, कि वह विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के उम्मीदवारों से फीडबैक लें और साथ ही हाई कमान को अपनी रिपोर्ट दें।
कमेटी के सदस्यों से फोन पर बातचीत-
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने कहा, कि उन्होंने कमेटी के सदस्यों से फोन पर बातचीत की और उम्मीदवार ने कहा कि मैंने कमेटी को बताया, कि दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोगों ने मेरे खिलाफ खुलकर प्रचार किया है और लोगों से कहा कि मुझे जितने ना दें। कांग्रेस उम्मीदवार ने कमेटी को बताया, कि जाट समुदाय के खिलाफ किए गए ध्रुवीकरण से बीजेपी को फायदा हुआ।
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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा-
कांग्रेस उम्मीदवार के मुताबिक, उन्होंने कमेटी के सदस्यों को बताया, कि उन्हें विधानसभा चुनाव में इसलिए नुकसान हुआ। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तब से उनके लिए वोट नहीं मांगे, जब से लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी खुद मंच पर मौजूद थे। उम्मीदवारों की मानें, तो उनकी विधानसभा सीट पर जाट समुदाय के बीच ऐसा नरेटिव था, कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनका समर्थन नहीं कर रहे थे और इस वजह से उन्हें जाट समुदाय के वोट नहीं मिले और वह चुनाव हार गए।
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