Elon Musk: एलन मस्क के बारे में हर कोई जानता है, वह जब भी कुछ करते हैं, कुछ बड़ा ही करते हैं। हाल ही में उन्होंने यह दावा किया है, कि वह जल्द ही ऐसा स्पेसक्राफ्ट बनाने वाले हैं, जो दिल्ली से अमेरिका आपको सिर्फ 30 मिनट में पहुंचा देगा। अभी सुनने में आपको भी लग रहा होगा, कि एलन मस्क हमें दिन में सपने दिखाने लगे हैं। लेकिन उनके कॉन्फिडेंस को देखकर लगता है, कि आने वाले समय में यह संभव हो पाएगा। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स इस तरह के स्पेसक्राफ्ट पर काम शुरु कर चुकी है। मस्क का टारगेट है, कि दुनिया के सभी बड़े शहरों तक एक घंटे के अंदर पहुंचने का साधन तलाशा जाए।
एक स्पेसक्राफ्ट तैयार (Elon Musk)-
इसमें 395 फुट का एक स्पेसक्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, जो की स्टेनलेस स्टील से बना हुआ है। जाहिर सी बात है, कि स्टील से बने होने की वजह से यह काफी हल्का होगा। एलन मस्क ने यह दावा किया है, कि डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद अर्थ टू अर्थ स्पेस ट्रैवल को अपने स्टारशिप रॉकेट के जरिए संभव कर पाएंगे और अगर ऐसा होता है, तो यह ट्रांसपोर्टेशन की दुनिया में एक करिश्मा होगा। स्पेसएक्स ने 10 साल पहले ही स्टरशिप का प्लान बनाया था। डेली मेल की रिपोर्ट की मानें, तो इसके तहत धरती के सबसे ताकतवर रॉकेट के जरिए हजार लोगों को ऑर्बिट में ले जाने की प्लानिंग थी।
एक शहर से दूसरे शहर (Elon Musk)-
हालांकि यह स्टारशिप अंतरिक्ष के अंधेरे में जाने के बजाय धरती के पैरलल उड़ान भरेगा और इसकी सतह पर उड़ते हुए, एक कोने से दूसरे कोने यानी किसी एक शहर से अन्य शहर में जाकर लैंड करेगा। यह स्टरशिप लॉस एंजिल्स से टोरंटो तक 4,061 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 24 मिनट में पूरी कर लेगा। जिसे अभी विमान में से तय करने में 4.40 घंटे से भी ज्यादा का समय लगता है। इसी तरह से लंदन से न्यूयॉर्क तक 567 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 29 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। जिसे तय करने में अभी 8 घंटे से भी ज्यादा का समय लगता है।
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धरती से धरती तक जाने वाला स्पेसक्राफ्ट-
दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को तक 12,341 किलोमीटर की दूरी तय करने में अभी फ्लाइट को 15.35 घंटे लगते हैं। जिसे सिर्फ 30 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इसके अलावा न्यूयॉर्क के शंघाई तक 11,858 किलोमीटर की दूरी को तय करने में अभी फ्लाइट 14.50 घंटे लेती है, उसे सिर्फ 39 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इसके साथ ही इस स्पेसक्राफ्ट में बैठे पैसेंजर को ग्रेविटी का भी अनुभव होगा। खासकर टेक ऑफ और लैंडिंग के समय। इसके अलावा लो ग्रेविटी की वजह से उड़ान के दौरान भी उन्हें सीट बेल्ट बांध कर रखनी पड़ेगी। एक यूजर ने इस स्पेसक्राफ्ट को लेकर एक वीडियो भी शेयर किया है।
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