Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah: भारत में मंदिर और मस्जिद से जुड़े कई विवाद हैं और इन्हीं में सबसे पुराना कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मथुरा विवाद है। जहां पर उन पूजा स्थल को हिंदू दोबारा से लेने की मांग कर रहे हैं। जिन्हें कथित तौर पर मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। इस मामले पर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करने वाली है। ऐसा कहा जाता है, कि साल 1618 में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माने जाने वाले मथुरा में एक मंदिर बनाया गया था। जिसे हिंदू पक्ष के मुताबिक, मुगल शासक औरंगजेब ने साल 1970 में मस्जिद बनाने के लिए ध्वस्त करवा दिया था और हिंदू पक्ष ने यह दावा किया है, कि हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी मस्जिद में मौजूद हैं।
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मथुरा विवाद-
जिसमें हिंदू मंदिरों की कई चीज़ें जैसे कमल के आकार के स्तंभ भी मौजूद हैं। उनका कहना है, कि वहां पर हिंदू देवता शेषनाग की भी एक छवि मौजूद है। हालांकि यूपी सुन्नी सैंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी का तर्क है, कि यह मस्जिद विवादित भूमि पर नहीं है। हिंदू पक्ष ने मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक याचिका दायर कर शाही ईदगाह को स्थानांतरित करने की मांग की है।
उन्होंने यह आरोप लगाया है, कि यह श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ जमीन के एक हिस्से पर बनाई गई है। उन्होंने न्यायालय से यह मांग की है, कि बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद मामले की तरह ही इस पर भी सुनवाई होनी चाहिए। 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद का न्यायालय की निगरानी में सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती-
वहीं शाही ईद शाही मस्जिद के ट्रस्ट की प्रबंधन समिति द्वारा दायर की गई याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय विचार कर रहा है। जिसमें 14 दिसंबर 2023 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसमें मस्जिद का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की निगरानी के लिए न्यायालय आयुक्त की नियुक्ति के आदेश दिए थे।
इसके बारे में हिंदू पक्ष ने यह दावा किया है, कि वहां ऐसी चीज़ें मिली हैं, जिससे संकेत मिलते हैं, कि वहां पर मंदिर मौजूद था। सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2024 को सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, यह देखते हुए, कि मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि मंदिर से शाही ईद का परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति के लिए हिंदू पक्ष का आवेदन स्पष्ट था।
ये भी पढ़ें- बिहार में चुनावी गड़बड़ियों को लेकर मचा हंगामा, 138 मतदाताओं के पिता एक..
शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट ने तर्क दिया-
हालांकि पीठ ने यह स्पष्ट किया, कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे की सुनवाई समेत उच्च न्यायालय में यह कार्यवाही जारी रहेगी। वहीं मस्जिद समिति द्वारा एक अन्य याचिका दायर की गई, जिसमें मथुरा की अदालत में लंबित (Pending) विवाद से संबंधित सभी मामलों को उच्च न्यायालय द्वारा 26 मई 2023 को अपने पास स्थानांतरित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी, जो विशेष अदालत से लंबित थी।
ये भी पढ़ें- संसद में विपक्ष ने किया अनोखा विरोध प्रदर्शन, काली जैकेट पर लिखवाया मोदी आडानी..
वहीं प्रबंधन समिति शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट ने तर्क दिया है, कि उच्च न्यायालय सर्वेक्षण के लिए ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकता। जब पूजा स्थल अधिनियम 1991 द्वारा निश्चित होने के मुकदमे को खारिज करने की मांग वाली एक अर्जी लंबित (Pending) थी। साल 1991 के अधिनियम 15 अगस्त 1947 के मुताबिक, धार्मिक स्थलों के स्वरूप में परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है। हिंदू पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है, कि वह न्यायालय को आयोग के सर्वे की रूपरेखा तय करने की अनुमति दें।