Popcorn and Old Cars GST: भारत सरकार ने 7 साल पहले जीएसटी लागू किया था और इस पर आज भी बहुत से भ्रम और लोगों के बीच में बहस देखने को मिलते हैं। जीएसटी के मामले में लोगों की शिकायत है, कि एक ही सामान के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब होने से सिस्टम मुश्किल हो गया है। शनिवार को राजस्थान के जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में वित्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में इस बैठक में कुछ टैक्स को आसान बनाने की शिफारिश की गई थीं। लेकिन इस टैक्स में कुछ टैक्स बहस का मुद्दा बन गए। जिसमें पॉपकॉर्न और पुरानी कारों पर लगने वाले टैक्स की चर्चा सबसे ज्यादा की जा रही है। सोशल मीडिया पर लोग इस बारे में चर्चा कर रहे हैं। आईए विस्तार से जानते हैं-

अलग-अलग प्रकार के पॉपकॉर्न पर अलग GST दरें-
जीएसटी परिषद ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि मसाले और नमक के साथ-साथ खाने के लिए तैयार पॉपकॉर्न अगर पहले से पैक करके बिना लेबल के बेचे जाते हैं, तो उसे पर 5% जीएसटी लगेगा। लेकिन अगर वही पॉपकॉर्न लेवल लगाकर बेचे जाते हैं, तो उन पर 12% तक का जीएसटी लगेगा। इसके अलावा काउंसिल ने यह भी स्पष्ट किया है, कि पॉपकॉर्न में चीनी मिलाने से इसकी श्रेणी बदल जाएगी और इसे कैरेमल पॉपकॉर्न माना जाएगा। जिससे इस पर टैक्स बढ़कर 18% हो जाएगा। इस तरह भारत में तीन तरह के पॉपकॉर्न माने गए सादा, मसालेदार और भुना हुआ। इन पर जीएसटी दर 5%-18% तक लगाई गई है। (Popcorn and Old Cars GST)
वित्त मंत्री ने क्या कहा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है, कि हम हर जीएसटी काउंसिल के बाद संवाददाता सम्मेलन करते हैं। टैक्स ऐसा मुद्दा होता है, जिसमें बहुत लेयर्स होती हैं। आंख बंद करके कोई टैक्स लगाते भी नहीं है और आंख बंद करके हटाते भी नहीं है। कृपया पूरे विषय को समझने के बाद ही इसके बारे में बताएं। वित्त मंत्री ने पॉपकॉर्न की तीन तरीकों से बिक्री के बारे में जानकारी दी और उस पर लगने वाले टैक्स के बारे में बताया। इससे पहले जैसलमेर में भी बैठक में फ्लेवर और पैकेजिंग के आधार पर पॉपकॉर्न पर जीएसटी की नई दरें निर्धारित की गई थी और इसे लेकर लगातार वह चर्चा हो रहा है। लोग इसे लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं, जिसमें थिएटर के पॉपकॉर्न और रेड़ी पर बेचे जा रहे पॉपकॉर्न की तुलना हो रही है।
टैक्स के जानकार (Popcorn and Old Cars GST)-
सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है और फिर सरकार ने इस पर अपनी सफाई दी है। टैक्स के जानकारों का कहना है, कि अगर अब आप सिनेमा हॉल में नमक के साथ तैयार किए गए पॉपकॉर्न खैते हैं, तो आपको 5% तक टैक्स देना होगा और अगर आप चीनी मिला हुआ पॉपकॉर्न खाते हैं, तो आपको 18% टैक्स देना होगा। उनका कहना है, कि जीएसटी काउंसिल के प्रस्ताव के बाद जल्द ही नई दरों की अधिसूचना भी जारी की जाएगी।

पुरानी कारों पर टैक्स में बढ़ोतरी-
वहीं पुरानी कारों पर जीएसटी को जीएसटी काउंसिल ने 55वीं बैठक में 12% से बढ़ाकर 18% करने का प्रस्ताव भी किया है। पुरानी कारों को खरीद कर उसे जिस मार्जिन पर बेचा जाएगा, इस पर टैक्स की यह दरें लागू होगी। इसमें पहले 1200 सीसी और 4000 मिमी तक की लंबाई वाली कारों पर 12% जीएसटी लगाया गया था। जबकि इससे बड़ी गाड़ियों पर जीएसटी दर 18% थी। इसीलिए इजाफा भी सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बना हुआ है। हालांकि भारत में व्यावसाय के जरिए बेची जाने वाली कारों पर ही यह दरें लागू होगा।
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किसे देना होगा टैक्स?
पुरानी और इस्तेमाल की जा चुकी कारों का बिजनेस करने वाले कार्स 24 के सीईओ विक्रम चोपड़ा ने, नए टैक्स डेट पर कहा, कि सरकार को सिर्फ पुरानी कारों पर टैक्स बढ़ाने पर ध्यान देने की बजाए एक दूरदर्शी नज़रिए अपनाना चाहिए। पुरानी कारें लाखों भारतीयों के लिए जरूरी होती हैं। पुरानी कारों से लोगों के कार रखने का सपना आसानी से पूरा होता है। जीएसटी की नई नीति इस क्षेत्र में विकास को धीमा कर देगी। हालांकि अगर आपके मन में यह सवाल उट रहा है कि अगर कोई व्यक्ति पुरानी कार बेच रहा है, तो उसे टैक्स देना होगा? तो इसका जवाब है नहीं। पुरानी कार का बिज़नेस करने वाले व्यक्ति को 18% जीएसटी देना होगा।
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