Pamban Bridge: भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है – रामेश्वरम का नया पम्बन पुल। 108 साल पुरानी ब्रिटिश विरासत को अलविदा कहते हुए, यह पुल न सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि एक नई तकनीकी क्रांति का प्रतीक भी है।
पुराने पुल से नए पुल तक(Pamban Bridge)-
पुराना पम्बन पुल 1914 में ब्रिटिश द्वारा निर्मित, 108 वर्षों तक सेवा, सिल्वर पेंट के कारण असाधारण क्षय प्रतिरोधक क्षमता, धीमी गति और बार-बार मरम्मत की ज़रुरत पड़ती थी। वहीं नए पम्बन पुल की बात की जाए, तो इसमें पॉलीसिलोक्सेन पेंट का इसतेमाल किया गया है, इसका अनुमानित जीवनकाल 38-58 वर्ष है, भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल, 2.07 किलोमीटर लंबाई और 5 मिनट 30 सेकंड में जहाजों के लिए खुलने की क्षमता है।
तकनीकी चुनौतियां और समाधान(Pamban Bridge)-
रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने पुल की जीवन अवधि को लेकर चिंताएं जताई हैं। उन्होंने योजना, निष्पादन और जंग-रोधी तकनीकों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। दक्षिण रेलवे ने इन चिंताओं को गंभीरता से लिया और सुधारात्मक उपाय शुरू किए हैं।
दक्षिण रेलवे- “बढ़ती यातायात की मात्रा और तेज़ तथा सुरक्षित कनेक्टिविटी की आवश्यकता ने सरकार को एक ऐसी संरचना की कल्पना करने के लिए प्रेरित किया जो तकनीकी रूप से उन्नत, टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार हो।”
निर्माण यात्रा-
नींव का पत्थर, नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखा गया औरनिर्माण कार्या फरवरी 2020 में शुरू हुआ। वहीं देरी के कारण कोविड-19 महामारी और चुनौतीपूर्ण मौसम है। दक्षिण रेलवे ने लंदन के टावर ब्रिज और अमेरिका के आर्थर किल वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज जैसी वैश्विक इंजीनियरिंग परियोजनाओं से तुलना की है।
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विरासत और नवाचार का संगम-
नया पम्बन पुल सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना नहीं है, बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। यह पुल पुरानी विरासत और नए नवाचार के बीच एक पुल बन गया है।
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