Premanand Maharaj: वृंदावन, एक ऐसा स्थान जहां भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम होता है, आजकल एक नए विवाद का केंद्र बन गया है। यहां के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज की रात की यात्रा को लेकर कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। हर रात, प्रेमानंद महाराज अपने निवास से निकलकर केलिकुंज आश्रम की ओर पदयात्रा करते हैं, जहां हजारों भक्त उनकी दर्शन के लिए रात भर कतार में खड़े रहते हैं। इस यात्रा के दौरान, वे भजन, भक्ति गीत और नाम जाप का महत्व बताते हैं। लेकिन अब, कुछ एनआरआई समुदाय के सदस्यों के विरोध के कारण, प्रेमानंद महाराज ने अपनी यात्रा का मार्ग, समय और तरीका बदल दिया है।
Premanand Maharaj विरोध का कारण-
प्रेमानंद महाराज की रात की यात्रा के दौरान, भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लोग ढोल, नगाड़े और अन्य संगीत वाद्ययंत्रों के साथ भजन गाते हैं। लेकिन कुछ स्थानीय निवासियों ने इस शोर को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है, कि यह शोर उनके लिए असुविधाजनक है। इस विरोध के बीच, बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने भी अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने कहा, कि ऐसे लोगों को वृंदावन छोड़ देना चाहिए जो भक्ति के इस माहौल को खराब कर रहे हैं।
Premanand Maharaj धीरेंद्र शास्त्री का बयान-
धीरेंद्र शास्त्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने सुना है कि पूज्य श्री प्रेमानंद बाबा की रात की पदयात्रा पर रोक लगाई गई है। कुछ महिलाएं इस निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। हम उनसे पूछते हैं, कि क्या वे मानवता को भूल गई हैं, जो एक साधु के भक्ति गीतों को चुप कराना चाहती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “भजन के खिलाफ बोलने वाले लोग शुद्ध मानव नहीं हैं।” उनका यह भी कहना था कि “अगर जरूरत पड़ी, तो हम बाबा का समर्थन करेंगे और उनके विरोधियों का सामना करेंगे।”
प्रेमानंद महाराज की नई योजना-
विरोध के बाद, प्रेमानंद महाराज ने अपनी पदयात्रा को उन समाजों से दूर कर दिया है जो विरोध कर रहे थे। अब वे अपने आश्रम से कुछ दूरी पर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। यह कदम उन्होंने भक्तों की भक्ति को ध्यान में रखते हुए उठाया है, ताकि कोई भी भक्त उनके दर्शन से वंचित न हो।
भक्तों की भावनाएं-
प्रेमानंद महाराज के भक्तों में इस बदलाव को लेकर मिश्रित भावनाएं हैं। कुछ भक्त इस बात से खुश हैं कि वे अब भी अपने गुरु के दर्शन कर सकते हैं, जबकि अन्य इस बदलाव को लेकर निराश हैं। भक्तों का कहना है कि भक्ति का यह माहौल किसी भी प्रकार के विरोध से ऊपर होना चाहिए। “हम प्रेमानंद महाराज के साथ हैं, और हम उनकी भक्ति यात्रा का समर्थन करते हैं,” एक भक्त ने कहा।
समाज में विभाजन का खतरा-
इस विवाद ने वृंदावन के समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या भक्ति और श्रद्धा को किसी भी प्रकार के विरोध का सामना करना चाहिए? क्या हमें अपने धार्मिक आस्था के लिए एकजुट होना चाहिए? ये सवाल अब हर किसी के मन में हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने चेतावनी दी है कि “वृंदावन में केवल राधे राधे के नारे लगेंगे, और समाज में कोई विभाजन नहीं होगा।”
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वृंदावन की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि भक्ति का मार्ग हमेशा सरल नहीं होता। प्रेमानंद महाराज की रात की पदयात्रा ने न केवल भक्तों को एकजुट किया है, बल्कि समाज में एक नई बहस को भी जन्म दिया है। क्या हम अपने धार्मिक अधिकारों के लिए खड़े रहेंगे, या हमें समाज के कुछ हिस्सों के विरोध के आगे झुकना पड़ेगा? यह सवाल अब हर भक्त के मन में है।
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