AAP-BJP Alliance: अरविंद केजरीवाल की लक्ष्मी कांता चावला से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि केजरीवाल “कभी भी भाजपा के सामने नहीं झुकेंगे”।
AAP-BJP Alliance “केजरीवाल कभी भाजपा के सामने नहीं झुकेंगे”-
सौरभ भारद्वाज ने ANI से बातचीत में कहा, “सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया लगभग दो साल से जेल में हैं। अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह छह-छह महीने जेल में रह चुके हैं। अगर ये लोग तब नहीं झुके, तो क्या भाजपा आज इन्हें झुका पाएगी? भाजपा अपना भ्रम दूर कर ले। अरविंद केजरीवाल कभी भी भाजपा के सामने नहीं झुकेंगे, न डरेंगे, और न ही दबेंगे।”
इस बयान से साफ हो गया है कि आप किसी भी कीमत पर भाजपा से हाथ मिलाने को तैयार नहीं है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद, पार्टी अपने सिद्धांतों पर अडिग है और अपने वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर समझौता नहीं करना चाहती।
AAP-BJP Alliance अमृतसर में केजरीवाल-चावला मुलाकात-
शनिवार को अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के अमृतसर में भाजपा नेता लक्ष्मी कांता चावला से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “कल शाम अमृतसर में लक्ष्मीकांता चावला जी के निवास पर उनसे मिलकर उनका हाल-चाल जाना। उनके साथ पंजाब के कई मुद्दों पर चर्चा की।”
इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए भारद्वाज ने कहा कि यह एक “शिष्टाचार मुलाकात” थी। उन्होंने बताया, “वहां एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, दुर्गियाना मंदिर। वह (लक्ष्मी कांता चावला) इसकी प्रधान हैं। पहली बार एक महिला किसी मंदिर की प्रधान बनी हैं। पंजाब के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं। लोग शिष्टाचार के तौर पर मुलाकात करते हैं।”
अमृतसर में लक्ष्मीकांता चावला जी से कल शाम उनके निवास पर मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। पंजाब के कई मुद्दों पर उनसे चर्चा हुई। pic.twitter.com/c5gifdHOi7
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 16, 2025
AAP-BJP Alliance दिल्ली चुनावों में AAP की हार-
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर निर्णायक जनादेश हासिल किया, जबकि सत्तारूढ़ AAP महज 22 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, AAP को 43 प्रतिशत वोट शेयर मिला, जबकि भाजपा ने 45 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। कांग्रेस को 6 प्रतिशत वोट शेयर मिला, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पाई। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर AAP-कांग्रेस गठबंधन होता, तो भाजपा विपक्ष में रह सकती थी।
केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य-
अब सभी की नजरें AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के अगले राजनीतिक कदम पर टिकी हैं। कुछ अटकलें थीं कि अरविंद केजरीवाल पंजाब से राज्यसभा में जा सकते हैं, लेकिन AAP ने जल्दी ही इसका खंडन कर दिया।
पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा दावा किया जा रहा था कि पंजाब के मुख्यमंत्री को जल्द ही बदला जाएगा। इस बारे में पूछे जाने पर, अरविंद केजरीवाल ने रविवार को जोर देकर कहा, “मान साहब पांच साल पूरे करेंगे, आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है… वह अगले पांच साल भी पूरे करेंगे।”
विपासना के बाद पंजाब दौरा-
रविवार को राज्य में पार्टी की सरकार के तीन साल पूरे होने पर केजरीवाल और मान ने स्वर्ण मंदिर में प्रार्थना की। बाद में उन्होंने भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल और श्री दुर्गियाना मंदिर में भी प्रार्थना की। पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल पंजाब के होशियारपुर में 10 दिन का विपासना ध्यान सत्र पूरा करने के बाद शनिवार को अमृतसर पहुंचे थे।
केजरीवाल का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब दिल्ली में AAP की सरकार जाने के बाद पार्टी नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार कर रही है। पंजाब अब AAP का एकमात्र गढ़ है, और पार्टी यहां से अपनी राजनीतिक ताकत को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है।
क्या हैं भविष्य के समीकरण?
दिल्ली में हार के बाद AAP के लिए राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। पंजाब में भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। ऐसे में केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी को नई रणनीतियों की आवश्यकता है। भगवंत मान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का केजरीवाल का समर्थन दर्शाता है कि पार्टी पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केजरीवाल अब अपनी पार्टी को पुनर्गठित करने और आगामी चुनावों की तैयारी में जुट सकते हैं। दिल्ली की हार से सबक लेते हुए, वे नए सिरे से जनता के बीच जाने और पार्टी की छवि को मजबूत करने पर ध्यान दे सकते हैं।
हालांकि भाजपा के साथ गठबंधन की अटकलें खारिज कर दी गई हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AAP अन्य विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाने पर विचार करेगी। आने वाले दिनों में केजरीवाल के राजनीतिक फैसले न केवल उनकी पार्टी बल्कि देश की राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं।
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