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Dastak India > Home > धर्म > 130 साल पुराने हिंदू मंदिर पर मंडराया टूटने का खतरा, मस्जिद बनाने की दी जा रही..
धर्म

130 साल पुराने हिंदू मंदिर पर मंडराया टूटने का खतरा, मस्जिद बनाने की दी जा रही..

Dastak Web Team
Last updated: March 25, 2025 7:19 pm
Dastak Web Team
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Malaysia Hindu Temple Controversy
Photo Source - Google
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Malaysia Hindu Temple Controversy: कुआलालंपुर के हृदय में स्थित श्री पत्रा कालियम्मन मंदिर एक ऐसी कहानी है, जो मलेशिया के जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य को प्रतिबिंबित करती है। 130 वर्षों से अधिक पुराना यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐतिहासिक स्मारक भी है जो मलेशिया की बहुसांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

Contents
Malaysia Hindu Temple Controversy उपनिवेशवादी विरासत-Malaysia Hindu Temple Controversy भूमि, धर्म और पहचान-Malaysia Hindu Temple Controversy संवेदनशीलता का परीक्षण-सामाजिक विभाजन-सह-अस्तित्व की आशा-एक जटिल मुद्दा-एक बड़ा सामाजिक सवाल-संवाद और समझ की आवश्यकता-

Malaysia Hindu Temple Controversy उपनिवेशवादी विरासत-

मंदिर का इतिहास ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में जाता है, जब भारतीय मूल के श्रमिकों को रबर बागानों और रेलवे में काम करने के लिए लाया गया था। उस समय, इन श्रमिकों को भूमि स्वामित्व से पूरी तरह वंचित रखा जाता था। आज, सेलांगोर राज्य में 700,000 से अधिक मलेशियाई भारतीय निवास करते हैं, जिनमें से 773 मंदिर बिना सरकारी अनुमति के निर्मित हैं।

Malaysia Hindu Temple Controversy भूमि, धर्म और पहचान-

2014 में, जकेल टेक्सटाइल कंपनी ने इस सरकारी भूमि को खरीद लिया, जहां पीढ़ियों से देवी श्री पत्रा कालियम्मन की पूजा होती रही है। कंपني के दिवंगत संस्थापक मोहम्मद जकेल अहमद का मूल उद्देश्य इस स्थान पर एक मस्जिद निर्माण था। यह निर्णय एक जटिल सामाजिक-धार्मिक बहस को जन्म देता है।

Malaysia Hindu Temple Controversy संवेदनशीलता का परीक्षण-

प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की भूमिका इस विवाद में महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि मस्जिद का निर्माण केवल मंदिर के स्थानांतरण के बाद होगा। “मैं खुद को ऐसा प्रधानमंत्री नहीं देख सकता जो किसी मंदिर को गिराए,” उन्होंने कहा। हालांकि, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

सामाजिक विभाजन-

विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच इस मुद्दे पर स्पष्ट मतभेद दिखाई देते हैं:

हिंदू समुदाय: मंदिर को एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में देखता है।

मलय मुस्लिम समुदाय: भूमि के निजी स्वामित्व और धार्मिक आवश्यकताओं के आधार पर मस्जिद निर्माण का समर्थन करता है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता: बहुसांस्कृतिक सद्भाव और धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में।

    सह-अस्तित्व की आशा-

    मंदिर समिति ने स्पष्ट किया है कि वह वर्तमान स्थान पर ही बने रहने की इच्छा रखती है और आस-पास के किसी भी नए निर्माण के साथ सह-अस्तित्व में रहने को तैयार है। यह दृष्टिकोण सांस्कृतिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता के मूल्यों को दर्शाता है।

    एक जटिल मुद्दा-

    प्रमुख राजनेता पी रामासामी ने इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की: “यह मंदिर मलेशिया की स्वतंत्रता से पहले से मौजूद एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक होने का दावा करने वाले देश में इसे हटाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।”

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    एक बड़ा सामाजिक सवाल-

    यह विवाद केवल एक मंदिर के स्थानांतरण से कहीं अधिक है। यह मलेशिया की धार्मिक सद्भावना, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता के मूल मुद्दों को उजागर करता है।

    संवाद और समझ की आवश्यकता-

    इस जटिल परिस्थिति में, संवाद, पारस्परिक सम्मान और एक-दूसरे की संवेदनाओं को समझने की आवश्यकता है। हर धर्म और संस्कृति का सम्मान करते हुए एक समाधान निकालना ही सही मार्ग है।

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    TAGGED:cultural conflicthindu templeKuala Lumpur religious conflictMalaysiaMalaysia Hindu temple disputereligious diversitysocial justiceSri Patra Kaliamman temple relocation
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