Pamban Bridge: भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित करने की तैयारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 अप्रैल को राम नवमी के पावन दिन पर तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक अत्याधुनिक रेल पुल का उद्घाटन करने वाले हैं, जो न केवल परिवहन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है, बल्कि देश के आध्यात्मिक और पर्यटन परिदृश्य को भी बदल देगा।
Pamban Bridge तकनीकी क्षमता और विकास-
यह पुल केवल एक साधारण इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना नहीं है, बल्कि एक ऐसी परियोजना है जो भारत की तकनीकी क्षमता और विकास के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। नवंबर 2019 में इस परियोजना की नींव रखने के बाद, चार वर्षों की कड़ी मेहनत और कोविड-19 महामारी के बावजूद अथक परिश्रम ने इस अद्भुत संरचना को साकार किया है।
पम्बन रेल पुल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल है। 2.05 किलोमीटर की लंबाई वाला यह पुल 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और 111 वर्ष पुराने पुराने पम्बन पुल की जगह लेगा, जिसे 2022 में क्षरण की समस्या के कारण बंद कर दिया गया था।
Pamban Bridge इंजीनियरिंग चमत्कार-
तकनीकी परिप्रेक्ष्य से देखें तो यह पुल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। इसमें एक अद्वितीय इलेक्ट्रो-मैकेनिकल वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है जो मात्र 5 मिनट में जहाजों के गुजरने के लिए ऊपर उठ सकता है। इसे एक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा सकता है और सामान्य मौसम परिस्थितियों में पूरी तरह से सुरक्षित है। यह प्रणाली न केवल रेल यातायात को सुचारू बनाएगी, बल्कि समुद्री नौवहन को भी बढ़ावा देगी।
PM Modi is likely to inaugurate India’s first vertical sea bridge, the new 2 km Pamban rail bridge, on Ram Navami (April 6).
Replacing the 110 year old corroded structure, it features a 72.5m lift span for ship passage, enhancing rail connectivity to Rameswaram. The bridge… pic.twitter.com/6LzCJqTU8Q
— 🇮🇳 Amαr (@Amarrrrz) March 26, 2025
Pamban Bridge नए पुल की क्षमताएं कई गुना अधिक-
पुराने पुल की तुलना में नए पुल की क्षमताएं कई गुना अधिक हैं। पहले, पुराने पुल पर ट्रेनें 25-30 मिनट लेती थीं और उनकी गति 10 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित थी। नए पुल पर ट्रेनें 75 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सकेंगी, जिससे क्रॉसिंग टाइम घटकर 5 मिनट से भी कम हो जाएगा।
इस पुल की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है इसकी नेविगेशनल क्लीयरेंस। पुराने पुल में केवल 1.5 मीटर की ऊंचाई थी, जबकि नए पुल में 22 मीटर की नेविगेशनल क्लीयरेंस है। यह बड़े जहाजों को आसानी से गुजरने की अनुमति देगा, जिससे समुद्री व्यापार और परिवहन में काफी सुधार होगा।
मजबूत और टिकाऊ –
पुल की संरचना भी अत्यंत मजबूत और टिकाऊ है। स्टेनलेस स्टील रीइन्फोर्समेंट और कंपोजिट स्लीपर्स का उपयोग करके इसे कठिन तटीय परिस्थितियों में भी टिकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भविष्य में रेलवे इलेक्ट्रीफिकेशन के लिए भी तैयार है। रामेश्वरम में वार्षिक 25 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को इस नए पुल से बड़ा लाभ मिलेगा। रामनाथस्वामी मंदिर की यात्रा अब पहले से कहीं अधिक सुगम और सुविधाजनक हो जाएगी। यह न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
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रेलवे सुरक्षा आयुक्त-
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने मुख्य खंडों के लिए 75 किलोमीटर प्रति घंटा और वर्टिकल लिफ्ट स्पैन के लिए 50 किलोमीटर प्रति घंटा की गति सीमा को मंजूरी दी है। यह सुरक्षा और गति के बीच एक बेहतरीन संतुलन दर्शाता है। दिसंबर 2022 से बंद पड़े रामेश्वरम के रेल संपर्क को भी इस पुल के माध्यम से पुनर्जीवित किया जाएगा। रामेश्वरम-तिरुपति साप्ताहिक एक्सप्रेस और रामेश्वरम-कन्याकुमारी त्रि-साप्ताहिक एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें फिर से अपनी सेवाएं शुरू करेंगी।
यह पुल न केवल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि है, बल्कि भारत की विकास यात्रा का एक जीवंत प्रतीक भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और भारतीय इंजीनियरों की कुशलता ने रामेश्वरम को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का काम किया है।