आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने एक नई 4-टर्मिनल सिलिकॉन-पेरोव्स्काइट टैंडम सोलर सेल विकसित की है, जिसकी दक्षता 30% तक पहुंच गई है, और भविष्य में इसे 45% तक बढ़ाया जा सकता है।
स्थिर टैंडम सोलर सेल तैयार
पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स को उनकी उच्च दक्षता और कम लागत के लिए जाना जाता है, लेकिन उनकी स्थिरता एक बड़ी चुनौती रही है। आईआईटी बॉम्बे की टीम ने इस समस्या का समाधान करते हुए एक स्थिर टैंडम सोलर सेल तैयार किया है, जो न केवल अधिक बिजली उत्पन्न करता है, बल्कि पारंपरिक सोलर सेल्स की तुलना में सस्ती भी है।
बिजली उत्पादन बढ़ाने का तरीका
इस तकनीक के तहत, एक पारदर्शी पेरोव्स्काइट परत को सिलिकॉन सोलर सेल के ऊपर लगाया गया है, जिससे अधिक प्रकाश अवशोषित होता है और बिजली उत्पादन बढ़ता है। यदि पेरोव्स्काइट परत समय के साथ खराब हो जाती है, तो उसे आसानी से बदला जा सकता है, जिससे पूरे उपकरण की उम्र बढ़ जाती है।
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महाराष्ट्र सरकार स्थापित करेगी पायलट प्रोजेक्ट
महाराष्ट्र सरकार की थिंक टैंक ‘मित्रा’ इस परियोजना को बढ़ावा दे रही है और उरण में 300 मेगावाट का पायलट प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बना रही है। आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर दिनेश काबरा ने बताया, हमने एक स्थिर पेरोव्स्काइट टैंडम सोलर सेल तैयार की है, जो 30% तक दक्षता प्रदान करती है।यह नवाचार भारत को सौर ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेता बना सकता है, जिससे सस्ती, टिकाऊ और उच्च दक्षता वाली सोलर तकनीक का विकास संभव होगा।