गुरु दत्त एक ऐसा नाम जिसे भारतीय सिनेमा के क्लासिक युग का जीनियस माना जाता है। ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘चौदहवीं का चाँद’ जैसी फिल्मों ने उन्हें अमर बना दिया। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी ज़िंदगी में एक अधूरी मोहब्बत की कहानी भी छुपी हुई थी — वहीदा रहमान के साथ।
पहली मुलाक़ात और प्रेम की शुरुआत
1950 के दशक में गुरु दत्त ने वहीदा रहमान को तेलुगु फिल्म में देखकर अपनी फिल्म ‘सी.आई.डी.’ में कास्ट किया। वहीं से उनके बीच एक खूबसूरत रिश्ता शुरू हुआ। वहीदा रहमान, उनकी कई फिल्मों की म्यूज़ बनीं। दोनों के बीच आत्मिक जुड़ाव था।
गुरु दत्त पहले से ही गीताबाली से शादीशुदा थे और उनके बच्चे भी थे, लेकिन वह वहीदा रहमान की ओर खिंचते चले गए।
क्यों नहीं मिल सके दोनों?
वहीदा रहमान एक मजबूत विचारों वाली महिला थीं। उन्होंने कभी भी किसी शादीशुदा पुरुष के साथ जीवन बिताने का इरादा नहीं रखा। दूसरी ओर, गुरु दत्त अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ भी नहीं सकते थे। यह प्रेम एक त्रिकोणीय दर्द में बदल गया।
गुरु दत्त की रहस्यमयी मौत
10 अक्टूबर 1964 को गुरु दत्त मुंबई में मृत पाए गए। मौत का कारण आज भी रहस्य बना हुआ है — कहा जाता है कि वह तीसरी बार आत्महत्या की कोशिश कर रहे थे। उस रात उन्होंने वहीदा को फोन किया था, लेकिन वे बात नहीं कर सके। यह अधूरी कॉल शायद एक अधूरी मोहब्बत की आखिरी दस्तक थी।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
- हर महान कलाकार के पीछे एक भीतर का संघर्ष छुपा होता है।
- प्रेम केवल पाने का नाम नहीं, कभी-कभी उसे सम्मानपूर्वक खो देना भी होता है।
- चुप प्रेम सबसे गहरा होता है, लेकिन सबसे अकेला भी।