हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित पार्वती वैली (Parvati Valley) केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहाँ प्रकृति, पौराणिक कथाएं और रहस्य एक साथ मिलते हैं। इस घाटी के पीछे कई ऐसी कहानियां और मान्यताएं छिपी हैं, जो आज भी आम लोगों से अनकही हैं।
पौराणिक मान्यता: माता पार्वती और शिव का निवास
पार्वती वैली का नाम देवी पार्वती के नाम पर पड़ा है। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहाँ देवी पार्वती भगवान शिव के साथ तपस्या करती थीं। कहा जाता है कि इसी घाटी में भगवान शिव ने ‘कैलाश’ से उतरकर ध्यान लगाया था और यहीं से पार्वती नदी की उत्पत्ति हुई।
योगियों और साधुओं की भूमि
यह घाटी हमेशा से ही साधुओं और तपस्वियों की तपोभूमि रही है। आज भी कई साधु यहाँ गुफाओं में साधना करते दिखाई देते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि कुछ योगी ऐसे हैं जो सदियों से इसी घाटी में रह रहे हैं, और अब भी अदृश्य रूप में मौजूद हैं।
मालाना गाँव का रहस्य
पार्वती वैली में स्थित मालाना गाँव एक और रहस्यपूर्ण स्थान है। यहां के लोग खुद को सिकंदर महान के वंशज मानते हैं और उनका समाज बाहरी दुनिया से अलग-थलग है। यहाँ का स्थानीय शासन प्रणाली और संस्कृति आज भी बाकी भारत से बिल्कुल अलग है।
कुहानी गुफा और गायब हो जाने वाले लोग
कुछ ट्रैकर्स और स्थानीय लोग बताते हैं कि पार्वती वैली में कुछ ऐसी गुफाएँ हैं जहाँ से लोग गायब हो जाते हैं। कुहानी गुफा (Kuhani Cave) नाम की एक जगह के बारे में कहा जाता है कि वहां जाने वाला व्यक्ति कभी लौटकर नहीं आता। इसे आज भी रहस्य माना जाता है।
शांति और आत्मिक ऊर्जा का स्रोत
यह घाटी सिर्फ एक ट्रैकिंग डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र भी मानी जाती है। कई पर्यटक यहाँ आत्मिक शांति और ध्यान के लिए आते हैं। खासकर खीरगंगा, जहाँ भगवान शिव ने हजारों वर्षों तक ध्यान लगाया था, आज भी एक शक्तिशाली ध्यानस्थल के रूप में माना जाता है।