बॉलीवुड में अक्सर अभिनेता अपने फिटनेस प्लान और सख्त डाइट को लेकर चर्चा में रहते हैं। वे सीमित और संतुलित भोजन करते हैं और रोजमर्रा की दिनचर्या को बखूबी निभाते हैं। लेकिन इस चकाचौंध भरी दुनिया में एक ऐसा अभिनेता भी है जिसने इस परंपरा को तोड़ा है। यह अभिनेता न तो सिर्फ डाइट फूड तक सीमित है, न ही केवल जिम का दीवाना। बल्कि उसका रिश्ता है देसी भोजन, मिट्टी से जुड़ी परवरिश और कड़ी मेहनत से।
यह हैं हरियाणा के बेटे जयदीप अहलावत, जो न केवल अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीतते हैं, बल्कि उनकी फिटनेस और जीवनशैली भी एक मिसाल है।
देसी खाने से बनी देसी बॉडी
जयदीप की फिटनेस यात्रा बाकी सितारों से एकदम अलग रही है। उन्होंने कभी शुगर-फ्री या फैट-फ्री फूड पर भरोसा नहीं किया। उनके लिए असली ताकत का स्रोत रहा देसी खाना – जिसमें घी, दूध, मक्खन, बाजरा, और घर की बनी रोटियां शामिल हैं।
एक इंटरव्यू में जयदीप ने हंसते हुए बताया कि साल 2008 तक उनका वजन कभी भी 70 किलो से ऊपर नहीं गया, जबकि उनकी लंबाई काफी अच्छी है। वजह थी उनका जबरदस्त मेटाबॉलिज्म और दिनभर खेतों में मेहनत करना। उन्होंने कहा, “मैं एक वक्त में 40 रोटियां खा जाता था और शरीर पर कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि सारा कुछ मेहनत में जल जाता था।”
गांव की मिट्टी और सादा जीवन
जयदीप का बचपन हरियाणा के एक छोटे से गांव में बीता, जहां जिंदगी सीधी-सादी और जमीन से जुड़ी थी। दोपहर के खाने के लिए खाना जरूर बनता था, लेकिन अक्सर खेत में गन्ना, गाजर, अमरूद या मौसम के फल खाकर ही पेट भर जाता था।
सुबह का नाश्ता भी पूरी तरह देसी होता – चना, बाजरे की रोटी, सफेद मक्खन, हरी चटनी और लस्सी। जयदीप बताते हैं, “हमारे लिए खाना केवल भूख मिटाने का जरिया नहीं था, यह हमारी परंपरा का हिस्सा था और आज भी है।”
दूध से था गहरा रिश्ता
बचपन में जयदीप के लिए दूध किसी पोषण से कहीं बढ़कर था – वह उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा था। वे बताते हैं, “हम गिलास में नहीं, मग या जग में दूध पीते थे और यह हमारे लिए आम बात थी।”
आज भी जब जयदीप मुंबई में रहते हैं और स्टार पार्टीज़ में जाते हैं, तो उनका मन घर के खाने में ही रमता है। वे कहते हैं, “मैं 15-16 साल से मुंबई में हूं, लेकिन घर के खाने जैसा संतोष आज भी कहीं नहीं मिलता। पार्टी से लौटकर भी मैं वही खाता हूं जो घर पर बना हो।”
