हिमाचल प्रदेश की वादियों में बसा मलाणा गांव (Malana Village) न सिर्फ अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है, बल्कि अपने अनोखे नियम, रहन-सहन और संस्कृति के कारण यह गांव भारत के सबसे रहस्यमयी स्थलों में से एक माना जाता है।
कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में स्थित यह गांव समुद्र तल से करीब 8,700 फीट की ऊंचाई पर बसा है। यहाँ की अनोखी “जमलू देवता की व्यवस्था”, रहस्यमयी भाषा और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाली प्रसिद्ध मलाणा क्रीम (हशीश) ने इसे दुनिया भर में प्रसिद्ध बना दिया है।
मलाणा के लोग और उनकी उत्पत्ति
मलाणा के निवासियों का दावा है कि वे अलेक्जेंडर द ग्रेट के सैनिकों के वंशज हैं। उनकी अलग भाषा — “कंष” (Kanashi) — जो न तो हिंदी है, न पहाड़ी, और न ही किसी अन्य स्थानीय भाषा से मिलती-जुलती है, इसे और भी रहस्यमय बनाती है।
यह गांव पूरी तरह से स्वशासी है, और यहां का खुद का प्रशासनिक सिस्टम है, जिसे “जमलू ऋषि की अदालत” कहा जाता है।
नियम और परंपराएं
गांव में बाहरी लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होती है:
- गांव के मंदिर और विशेष क्षेत्रों को छूना मना है।
- अगर कोई बाहरी व्यक्ति गाँव की वस्तुओं या दीवारों को छू लेता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है।
- यहां की लोक व्यवस्था पंचायत से नहीं, जमलू देवता के आदेशों से चलती है।
मलाणा क्रीम और वैश्विक पहचान
मलाणा हशीश, जिसे “मलाणा क्रीम” के नाम से जाना जाता है, दुनिया की सबसे शुद्ध चरस किस्मों में से एक मानी जाती है। यह विदेशों में भी बेहद मांग में है। हालांकि भारत में यह अवैध है, लेकिन फिर भी मलाणा का नाम इससे जुड़कर काफी चर्चित हो गया है।
कैसे पहुंचे मलाणा
गांव तक पहुंचने के लिए सबसे नज़दीकी शहर है जैरी (Jari), जो कुल्लू और मणिकरण के पास है। जैरी से मलाणा तक ट्रैकिंग करनी पड़ती है, जो लगभग 4-5 किलोमीटर की है। रास्ता पहाड़ी और रोमांचक है, जिससे यात्रा खुद में एक अनुभव बन जाती है।
रहने और घूमने की सुविधाएं
अब मलाणा में कुछ होमस्टे और कैफे उपलब्ध हैं, लेकिन गांव के भीतर रुकने की सुविधाएं सीमित हैं। आप जैरी या पास के किसी अन्य क्षेत्र में ठहर सकते हैं।
इसके आसपास के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं:
- मणिकरण साहिब
- तोश और कसोल
- खीरगंगा ट्रैक
