Congress-AAP Alliance: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है, कि दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन न होने के लिए केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं।
गठबंधन पर क्या थी स्थिति?(Congress-AAP Alliance)
माकन के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी दिल्ली और हरियाणा दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहती थी। उन्होंने बताया, कि दोनों दलों के बीच वार्ता काफी आगे बढ़ चुकी थी। लेकिन सितंबर में जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने अचानक हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
दिल्ली में क्या हुआ?(Congress-AAP Alliance)
“केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के बाद खुद ही कह दिया, कि वे दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेंगे,” माकन ने मीडिया से बातचीत में यह खुलासा किया। उनका यह बयान दिल्ली की राजनीति में भूचाल ला सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है, कि विपक्षी एकता की कोशिशें किस तरह विफल हुईं।
चुनावी समीकरण का विश्लेषण-
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है, कि गठबंधन की विफलता से दोनों पार्टियों को नुकसान हो सकता है। दिल्ली में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो दोनों पार्टियों के बीच बंटा हुआ है। गठबंधन न होने से वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिसका फायदा अन्य राजनीतिक दलों को मिल सकता है।
आगे की राह-
5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों के लिए मतदान होगा। नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस बीच, दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है, कि यह स्थिति जमीनी स्तर पर भी असर डाल रही है।
जनता की राय-
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में आम लोगों से बात करने पर पता चलता है, कि वे गठबंधन की विफलता से निराश हैं। निवासीयों का कहना है, “हम चाहते थे, कि दोनों पार्टियां मिलकर काम करें। अब हमें दोनों में से किसी एक को चुनना होगा।”
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विशेषज्ञों की राय-
पॉलिटिकल एनालिस्ट डॉ. प्रीति शर्मा का कहना है, “दिल्ली की राजनीति में यह एक बड़ा मोड़ है। गठबंधन न होने का असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है। दोनों पार्टियों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।”
दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ती जा रही है। गठबंधन की विफलता ने चुनावी समीकरणों को और भी दिलचस्प बना दिया है। अब देखना यह है, कि आने वाले दिनों में क्या नए राजनीतिक समीकरण बनते हैं।
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