Maha Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब एप्पल के दिवंगत संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भूटान एयरवेज के विमान से प्रयागराज पहुंचीं। यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 93 वर्षों में प्रयागराज हवाई अड्डे पर उतरने वाली पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान थी।
इतिहास बेहद रोचक(Maha Kumbh Mela 2025)-
प्रयागराज हवाई अड्डे का इतिहास बेहद रोचक है। यह भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में से एक था, जहां से 1932 तक लंदन के लिए सीधी उड़ानें संचालित होती थीं। वास्तव में भारत में वाणिज्यिक विमानन की शुरुआत 1911 में हेनरी पिके द्वारा इसी शहर से की गई थी, जब उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से नैनी तक पहली डाक सेवा उड़ान भरी थी।
आध्यात्मिक यात्रा का आगाज(Maha Kumbh Mela 2025)-
अमेरिकी अरबपति लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में अपनी यात्रा के दौरान गहरी आध्यात्मिक रुचि दिखाई। उन्होंने “कमला” नाम को अपनाया और पारंपरिक कल्पवास में भाग लिया। कल्पवास एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें पवित्र नदियों में दैनिक स्नान, ध्यान और शाकाहारी आहार शामिल है।
चुनौतियों का सामना-
हालांकि यह यात्रा पूरी तरह से सहज नहीं रही। कुंभ के दूसरे दिन पॉवेल जॉब्स को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्वामी कैलाशानंद के अनुसार, भीड़भाड़ और अपरिचित वातावरण के कारण उन्हें एलर्जी हो गई। वह स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में ठहरीं, जहां उन्हें उचित देखभाल प्रदान की गई।
सुरक्षा व्यवस्था-
महाकुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों सहित 10,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संगम पर एक “वाटर एम्बुलेंस” भी तैनात की है।
महाकुंभ का महत्व-
महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक समागमों में से एक है, जो हर 12 वर्षों में भारत के चार स्थानों में से एक पर आयोजित किया जाता है। इस वर्ष का महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा। यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक एकता और समन्वय का भी प्रतीक है।
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अंतरराष्ट्रीय महत्व-
लॉरेन पॉवेल जॉब्स की यात्रा ने महाकुंभ के अंतरराष्ट्रीय महत्व को और बढ़ा दिया है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति विश्व के प्रभावशाली लोगों को भी आकर्षित करती है। उनकी यात्रा से प्रयागराज की ऐतिहासिक विमानन विरासत भी पुनर्जीवित हुई है।
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