Uttarakhand UCC Rule: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के लागू होने के साथ ही राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इस नए कानून के तहत मकान मालिकों को भी कड़ी हिदायत दी गई है, कि वे किरायेदारों के लिव-इन सर्टिफिकेट की जांच करें, नहीं तो उन पर 20,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
Uttarakhand UCC Rule राज्य में नया कदम-
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को एक पोर्टल लॉन्च किया, जिसके माध्यम से शादी, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और वसीयत का रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा। यह कदम भारत में अपनी तरह का पहला है, जहां किसी राज्य ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को पूरी तरह से लागू किया है।
Uttarakhand UCC Rule लिव-इन जोड़े-
यूसीसी के नियम 20 (8) (सी) के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को अपने रिश्ते को रजिस्टर करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए 500 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। यदि जोड़े एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हैं, तो उन्हें 1,000 रुपए का अतिरिक्त ‘विलंब शुल्क’ देना होगा। साथ ही, यदि रिश्ता समाप्त होता है, तो इसकी रजिस्ट्रेशन के लिए भी 500 रुपए का शुल्क देना होगा।
मकान मालिकों की जिम्मेदारी (Uttarakhand UCC Rule)-
नए कानून के तहत, मकान मालिकों को किराएनामा करने से पहले लिव-इन कपल्स से उनका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मांगना होगा। यह सर्टिफिकेट किराएनामे का अनिवार्य हिस्सा होगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर मकान मालिकों पर 20,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन-
सरकार ने विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए भी नए नियम बनाए हैं। सामान्य विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए 250 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। तत्काल सेवा के तहत तीन दिनों में सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए 2,500 रुपए का शुल्क देना होगा। विवाह को रजिस्टर न करवाने या गलत जानकारी देने पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कानून का महत्व-
यह कानून न केवल लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में पारदर्शिता भी लाएगा। इससे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी और उन्हें कानूनी सुरक्षा मिलेगी। साथ ही, यह कदम सामाजिक व्यवस्था को और अधिक व्यवस्थित बनाने में मदद करेगा।
प्रशासनिक व्यवस्था-
राज्य सरकार ने इस कानून के क्रियान्वयन के लिए एक विशेष पोर्टल की स्थापना की है। इस पोर्टल पर लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं। सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए हेल्पडेस्क भी स्थापित किए हैं, जहां वे अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं।
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लोगों की प्रतिक्रिया-
इस नए कानून को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मान रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कानून समाज के हित में है और इससे कानून व्यवस्था बेहतर होगी।
राज्य सरकार इस कानून के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में और भी कई सुधार किए जाएंगे, जिससे यह व्यवस्था और अधिक प्रभावी हो सके। साथ ही, लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
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