Indian Navy Frigate Ship: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) ने शनिवार को प्रोजेक्ट 1135.6 अतिरिक्त फॉलो-ऑन शिप्स के तहत दूसरे फ्रिगेट ‘तवस्य’ को लॉन्च किया। यह कदम भारत की नौसैनिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। महाभारत के भीम के प्रसिद्ध गदा के नाम पर रखे गए ‘तवस्य’ का नाम भारतीय नौसेना के अदम्य साहस और बढ़ती शक्ति का प्रतीक है, जैसा कि अधिकारियों ने बताया। इन फ्रिगेट्स को सतह, पानी के नीचे और हवाई लड़ाई संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Indian Navy Frigate Ship प्रोजेक्ट की पृष्ठभूमि और महत्व-
रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच जनवरी 2019 में दो प्रोजेक्ट 1135.6 फॉलो-ऑन फ्रिगेट्स के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस प्रोजेक्ट का पहला जहाज, ‘त्रिपुत’, 24 जुलाई को लॉन्च किया गया था। “आज का दिन हमारे लिए गर्व का क्षण है,” एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने कहा। “तवस्य का लॉन्च सिर्फ एक जहाज का पानी में उतरना नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।” ‘त्रिपुत’ और ‘तवस्य’ दोनों लगभग 125 मीटर लंबे हैं, जिनका ड्राफ्ट 4.5 मीटर और विस्थापन लगभग 3,600 टन है। ये जहाज अधिकतम 28 नॉट्स की गति प्राप्त कर सकते हैं और स्टील्थ फीचर्स, एडवांस्ड वेपन्स, सेंसर्स और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस हैं।
The 2nd Frigate of Project 1135.6 Additional Follow-on Ships, being built by @goashipyardltd, Tavasya, was launched by Mrs Neeta Seth in the presence of Raksha Rajya Mantri Shri @SethSanjayMP & VAdm Sanjay J Singh, FOC-in-C #WNC on #22Mar 25 at GSL, Goa.
Senior officials from the… pic.twitter.com/QCPcV3RljH
— SpokespersonNavy (@indiannavy) March 22, 2025
Indian Navy Frigate Ship स्वदेशी प्रौद्योगिकी का महत्व-
ये फ्रिगेट्स P1135.6 सीरीज के फॉलो-ऑन हैं, जिन्हें अब एक भारतीय शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित किया जा रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत पहल के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। “हमने इन जहाजों में 65% से अधिक स्वदेशी उपकरण शामिल किए हैं,” एक प्रोजेक्ट प्रबंधक ने बताया। “यह न सिर्फ विदेशी निर्भरता को कम करता है, बल्कि हमारे घरेलू रक्षा उद्योग को भी मजबूत करता है।” ‘त्रिपुत’ और ‘तवस्य’ उच्च प्रतिशत के स्वदेशी उपकरण, हथियार और सेंसर से लैस हैं, जो भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं। यह प्रयास घरेलू क्षमताओं को बढ़ा रहा है और देश में महत्वपूर्ण रोजगार पैदा कर रहा है।
तकनीकी विशेषताएं और क्षमताएं-
“तवस्य अत्याधुनिक तकनीक से लैस है,” एक तकनीकी विशेषज्ञ ने बताया। “इसमें एंटी-शिप मिसाइल, सरफेस-टू-एयर मिसाइल, और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम शामिल हैं।” फ्रिगेट में स्टील्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग इसे दुश्मन के रडार से बचने में मदद करता है, जबकि इसके सेंसर्स दूर से ही खतरों का पता लगा सकते हैं। जहाज पर तैनात क्रू मेंबर्स के लिए आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे लंबे समय तक समुद्र में ऑपरेशन संचालित किए जा सकते हैं। एक नौसैनिक इंजीनियर ने बताया, “इन जहाजों का डिजाइन मल्टी-रोल ऑपरेशन्स के लिए किया गया है। ये युद्ध की स्थिति में सतह, पनडुब्बी-रोधी और हवाई सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, साथ ही शांतिकाल में समुद्री निगरानी और मानवीय सहायता जैसे कार्य भी कर सकते हैं।”
आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा-
नौसेना प्रमुख ने इस अवसर पर कहा, “आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि हमारे लिए एक मिशन है। तवस्य का निर्माण इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।” गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के चेयरमैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट ने न केवल शिपयार्ड की क्षमताओं को बढ़ाया है, बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी बढ़ावा दिया है जो विभिन्न घटकों की आपूर्ति करते हैं। “इस प्रोजेक्ट से 2,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है,” उन्होंने कहा। “हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में स्वदेशी रक्षा उत्पादन को दोगुना करना है।”
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भविष्य की योजनाएं-
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ‘तवस्य’ अब विभिन्न परीक्षणों से गुजरेगा और अगले वर्ष तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, भारतीय नौसेना अपने बेड़े का आधुनिकीकरण जारी रखेगी। “हमारी योजना अगले दशक में कम से कम 175 जहाजों का बेड़ा बनाने की है,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया। “इनमें से अधिकतर जहाज स्वदेशी शिपयार्ड में बनाए जाएंगे।” विशेषज्ञों का मानना है कि ‘तवस्य’ जैसे जहाजों का निर्माण भारत को न केवल नौसैनिक शक्ति के रूप में मजबूत करेगा, बल्कि भारत को रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी अग्रणी बनाएगा। “इन जहाजों में इस्तेमाल की गई तकनीक दुनिया के किसी भी आधुनिक युद्धपोत के बराबर है,” एक रक्षा विश्लेषक ने कहा। यह भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं का प्रमाण है।
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