Justice Yashwant Cash Row: दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बरामद हुए करोड़ों रुपये के नोटों का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। शनिवार (22 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस और फायर ब्रिगेड से प्राप्त सबूतों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक किया, जिसमें तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं। इस बीच, न्यायाधीश के आवास के पास से एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें जले हुए नोटों के अतिरिक्त सबूत दिखाई दे रहे हैं।
Justice Yashwant Cash Row अग्निकांड से खुला राज-
होली के दिन जस्टिस यशवंत वर्मा के 30 तुगलक रोड स्थित सरकारी आवास पर रात लगभग साढ़े 11 बजे आग लग गई थी। उस समय न्यायाधीश घर पर मौजूद नहीं थे। जैसे ही आग की सूचना मिली, दमकल की गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम को वहां नोटों की गड्डियां मिलीं, जिससे पूरे न्यायिक समुदाय में हड़कंप मच गया।
#WATCH | Delhi: Burnt debris seen near the residence of Delhi High Court judge Justice Yashwant Varma. pic.twitter.com/PTI4vCVXY5
— ANI (@ANI) March 23, 2025
“हमें कॉल मिलते ही टीम को भेजा गया था,” एक वरिष्ठ फायर अधिकारी ने बताया। “जब हमारी टीम ने आग पर काबू पाया, तो उन्हें अचानक बड़ी मात्रा में नकदी दिखाई दी, जिसका कुछ हिस्सा जल चुका था।” रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस वर्मा के आवास से लगभग 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए सबूतों में नोटों के बंडल साफ तौर पर देखे जा सकते हैं, जिनमें से कई 500 रुपये के नोट हैं।
Justice Yashwant Cash Row स्थानीय गवाह का बयान-
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब आवास के पास काम करने वाले एक सफाई कर्मचारी इंद्रजीत ने अपना बयान दिया। उन्होंने बताया, “हम इस इलाके में रोज काम करते हैं और सड़कों से कचरा इकट्ठा करते हैं। 4-5 दिन पहले जब हम यहां सफाई कर रहे थे और कचरा इकट्ठा कर रहे थे, तभी हमें जले हुए 500 रुपये के नोटों के कुछ छोटे टुकड़े मिले।”
#WATCH | A sanitation worker, Inderjeet says, "We work in this circle. We collect garbage from the roads. We were cleaning here 4-5 days back and collecting garbage when we found some small pieces of burnt Rs 500 notes. We found it that day. Now, we have found 1-2 pieces…We do… pic.twitter.com/qnLjnYvnfe
— ANI (@ANI) March 23, 2025
उन्होंने आगे कहा, “हमें नहीं पता कि आग कहां लगी थी। हम तो बस अपना काम करते हैं और कचरा इकट्ठा करते हैं। मगर वो नोट देखकर हम हैरान रह गए।” हाल ही में सामने आए वीडियो में 500 के आधे-अधूरे और फटी हालत में नोट दिखाई दे रहे हैं, जो न्यायाधीश के आवास के आसपास के क्षेत्र से मिले बताए जा रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों के बीच इस पूरे मामले को लेकर चर्चा का विषय बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख-
इस गंभीर मामले को देखते हुए, भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव वर्मा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की आंतरिक जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसके साथ ही, जस्टिस वर्मा को न्यायिक कामकाज से अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी प्रेस रिलीज में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।”
न्यायपालिका पर उठते सवाल-
इस घटना ने न्यायपालिका की छवि पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। एक ऐसे समय में जब देश की न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ऐसी घटनाएं चिंता का विषय बन जाती हैं। “न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है,” एक वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा। “किसी भी न्यायाधीश के घर से इतनी बड़ी मात्रा में अघोषित नकदी का मिलना गंभीर चिंता का विषय है। हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष तरीके से होगी और सच्चाई सामने आएगी।”
वहीं कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला न्यायाधीशों की नियुक्ति और निगरानी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने का संकेत भी दे सकता है। कुछ वकीलों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि न्यायाधीशों की संपत्ति की नियमित घोषणा होनी चाहिए और उनकी वित्तीय गतिविधियों पर अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए।
जांच की आगामी प्रक्रिया-
अब सभी की नजरें तीन सदस्यीय समिति की जांच पर टिकी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, समिति को इस बात की जांच करनी होगी कि इतनी बड़ी रकम न्यायाधीश के पास कैसे आई और इसका स्रोत क्या है। “यह समिति न केवल नोटों के स्रोत की जांच करेगी, बल्कि यह भी देखेगी कि क्या न्यायाधीश के पिछले फैसलों में कोई अनियमितता थी,” एक अन्य कानूनी विश्लेषक ने बताया। “अगर जांच में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनमें महाभियोग की कार्यवाही भी शामिल है।”
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जबकि जस्टिस वर्मा ने अभी तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, कानूनी हलकों में चर्चा है कि वे जल्द ही अपना पक्ष रख सकते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि जांच के पूरा होने तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। इस बीच, इस मामले ने देश भर में न्यायिक जवाबदेही पर बहस छेड़ दी है। आम जनता के बीच न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखने के लिए, इस मामले की त्वरित और पारदर्शी जांच अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।
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