प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषण में साफ-सफाई के लिए चलाए गए स्वच्छ भारत अभियान का जिक्र करते रहते हैं। जो पिछले 3 सालों से चलाया जा रहा है। इसके बावजूद अभी तक एमसीडी के पास न तो पर्याप्त संख्या में कूड़ा इकट्ठा करने के लिए लैंडफिल साइट है और न ही कूड़ा ट्रीट करने के लिए सोलिड वेस्ट प्लांट।
सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के अनुसार दिल्ली की जितनी आबादी है। उस हिसाब से कूड़ा ट्रीट करने के लिए छोटे-बड़े 180 सोलिड वेस्ट प्लांट और कूड़ा एकत्रित करने के लिए 36 लैंडफिल साइट की आवश्यकता है, लेकिन दिल्ली में 3 सोलिड वेस्ट प्लांट और इतना ही लैंडफिल साइट है। सफाई कर्मचारियों की संख्या भले ही गिनाने के लिए अधिक है, लेकिन फिर भी सफाई को लेकर शिकायतें कम नहीं हैं।
सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स के अनुसार अर्बन एरिया में प्रति 1 लाख की जनसंख्या के आधार पर कूड़ा ट्रीट करने के लिए 1 ट्रीटमेंट प्लांट होना चाहिए। दिल्ली की मौजूदा आबादी 1.8 करोड़ है। इस हिसाब से कम से कम 180 सोलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट होने चाहिए, लेकिन एमसीडी के पास केवल 3 ही ऐसे प्लांट हैं। इसी तरह से शहरों में बेहतर सफाई व्यवस्था के लिए प्रत्येक 5 लाख की जनसंख्या पर 1 लैंडफिल साइट बनाया जाना चाहिए। इस हिसाब से दिल्ली में कम से कम 36 लैंडफिल साइट होनी चाहिए, लेकिन तीनों एमसीडी को मिलाकर 3 ही लैंडफिल साइट हैं, जहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है और पिछले दिनों इस पहाड़ के गिरने से दो लोगों की मौत भी हो गई थी।
कूड़े कचरे की सफाई सिर्फ सरकार का काम नहीं है बल्कि हम सभी को इस अभियान में सरकार को पूरा योगदान देना होगा।