काव्यामृत

“काव्यामृत” में दस्तक इंडिया आपके सामने आज के जमाने के कवि और बीते जमाने के कवियों की बेहतरीन काव्य रचना सामने लाएंगे…

हां कलम हूं मैं…

https://www.youtube.com/watch?v=YDqnPX3hhKk हां कलम हूँ मैं, सच लिखती थी मैं, झुका न पाता था कोई बहाव को मेरे रोक न पाता

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क्या छोडूं क्या प्यार करुँ?

क्या छोडूं क्या प्यार करुँ? जितने तारे नील गमन में, उतने सपने जगे हैं मन में, इस लघु जीवन में

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ये तय तो नहीं

मंजिल तो तय है लेकिन ठिकाना तय नहीं, रास्ते बहुत लेकिन जाना किस राह ये तय नहीं। मंजिल भी उतनी ही

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