स्नेहा मिश्रा
पाकिस्तान में सियासत कुछ ज्यादा ही गर्म होती नजर आ रही है। पाकिस्तान में बढ़ते सियासी टकराव से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार में दरार पैदा हो गई है। नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज सार्वजनिक रूप से अपने ही पति मोहम्मद सफदर से जा भिड़ी। मरियम ने अपने शौहर पर 'पार्टी विरोधी' बयान देने का आरोप लगाया है।
दरअसल रिटायर्ड कैप्टन मोहम्मद सफदर ने एक प्राइवेट टीवी चैनल को दिए अपने एक इंटरव्यू के दौरान सत्ताधारी गठबंधन की प्रमुख पार्टी 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग' की नीतियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "पार्टी का 'वोट को इज्जत दो' नैरेटिव पहले तो बहुत सशक्त था, लेकिन जिस समय पार्टी ने पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया था। उसे रोककर पार्टी ने इस नैरेटिव की बेइज्जती कर दी थी।"
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बता दें कि जनरल बाजवा का कार्यकाल तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने बढ़ाया था। जिसका समर्थन नवाज शरीफ की पार्टी ने भी किया था। इंटरव्यू में मोहम्मद सफदर से यह सवाल किया गया कि, नवाज शरीफ ने बाजवा के कार्यकाल का विरोध क्यों नहीं किया? जिसका जवाब देते हुए सफदर ने कहा कि, 'उन्हें किसी ने गुमराह कर दिया था।' उन्होंने आगे बताते हुए कहा, 'कुछ लोग नवाज शरीफ के पास गए और उन्हें कार्यकाल को बढ़ाने के फायदे समझाएं। नवाज शरीफ को उन सभी के नामों का सार्वजनिक तौर पर खुलासा कर देना चाहिए, जिन्होंने उन्हें गलत फैसला लेने के लिए भड़काया था।'
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इसी इंटरव्यू के दौरान जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या उनकी पत्नी प्रधानमंत्री बनेंगी? तो इस पर उन्होंने कहा, "आने वाले समय में मुझे ऐसा नहीं लगता है। अभी शहबाज शरीफ 5 साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे। जिसके बाद 2025 में ही अगला चुनाव होगा।" इस इंटरव्यू के बाद मरियम ने सार्वजनिक रूप से अपने पति की बातों का जवाब दिया। मरियम ने सफदर की बातों पर अफसोस जताते हुए, उन्हें चेतावनी दी कि 'वे भविष्य में ऐसी बातें आगे ना करें।'
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मरियम ने पार्टी के नेताओं को यह निर्देश भी दिया कि वह पार्टी की घोषित नीति से अलग कोई बात ना करें। उन्होंने कहा कि, 'जो कोई भी इस निर्देश का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।' इससे पहले भी सफदर कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं। जिसके लिए उन्हें 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था।
इसी बीच सत्ताधारी गठबंधन को लाहौर हाईकोर्ट के फैसले से तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग को 90 दिनों के भीतर ही पंजाब असेंबली का चुनाव कराने का निर्देश दिया है।