अजय चौधरी
पूरे देश की भावनाएं और राष्ट्रभक्ति सोशल मीडिया के आंदोलन के तहत काम कर रही हैं। जब सोशल मीडिया की गैंग चाहती है तभी लोगों में देशभक्ती जाग जाती है। जब वो चाहती है कि आपकी देशभक्ति शांत रहे चाहे देश के कितने भी जवान शहीद हो जाएं, कोई पूछने वाला नहीं। क्योंकि सोशल मीडिया की गैंग ने सवाल नहीं पूछा। उन्होंने हमें फोटोशॉप में तस्वीर बनाकर नहीं दी तो कैसे हम उसे अपने स्टेटस पर लगाएं।
धोनी की दस्तानों में लगा सेना के शौर्य का चिह्न हटता हम नहीं देख सकते। क्योंकि उससे हमारी देशभक्ति जुडी है। लेकिन हम भारतीय सेना के लापता हुए विमान में अपनी बैमौत जान गवानें वाले 13 सैनिकों की मौत पर किसी से सवाल नहीं पूछ रहे क्योंकि गलती तो हो ही नहीं सकती दो दोषी भी कोई हो ही नहीं सकता। हमने कभी इन हादसों की जांच पर सवाल पूछा है? क्या शहीद हुए जवानों के परिजनों के पास हमारे नेता जा रहे हैं? लेकिन इन जवानों के परिजन पूछ रहे हैं क्या हमारे बेटे अभिनंदन की तरह पायलट नहीं थे? सरकार ने उन्हें खोजने के कितने प्रयास किए? चैनलों ने और आपने उनके लिए कितना इंसाफ मांगा। बल्कि उनके परिजनों ने तो कुछ सांसदों की लताड़ सुनी है। आप चुप हैं। क्योंकि गैंग चुप है।
विकास का प्रदूषण से नहीं है कोई नाताआपने कितने चैनलों में इन जवानों की मौत से जुडी खबर प्रमुखता से देखी है? या कितने अखबारों के पहले पन्नों पर इस खबर को देखा है? आज भी पन्ने पलट कर देख लीजिए नहीं मिलेगी। कितने नेताओं ने ट्वीट किया है? जम्मू के अनंतनाग में हाल ही में 5 जवान शहीद हो गए, इन पर देश ने गुस्सा क्यों नहीं दिखाया? सिर्फ क्रिकेट देखा? क्या फिलहाल राष्ट्रभक्ति का मतलब क्रिकेट विश्वकप देखना है? होता तो धोनी को बलीदान बैज लगाकर खेलने नहीं दिया गया। इससे आपका अपमान होना चाहिए था और आपको न ये खेल देखना चाहिए था और न ही हमारी टीम को ये विश्वकप खेलना चाहिए था।
हमने आसीफा से लेकर ट्विंकल तक इंसाफ की मांग की। दोनों के साथ जो हुआ उसमें दोषियों को फांसी से बढ़कर कोई सजा हो वो मिलनी चाहिए। मैं आपके इंसाफ मांगने पर सवाल नहीं उठा रहा। बस ये पूछ रहा हूं कि बिहार में जो 80 से ज्यादा बच्चे गंभीर बिमारी की वजह से मारे गए उसमें कौन लापरवाह है? कौन दोषी है? इसपर सवाल क्यों नहीं पूछता कोई। क्या वो बच्चे बच्चे नहीं थे? क्या वो फौजी-फौजी नहीं थे?
क्या हर विषय को मुद्दा बनाने के लिए उसमें हिंदू-मुस्लिम या फिर पाकिस्तान फैक्टर का होना जरुरी है?
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”