नूपुर शर्मा को बीजेपी से निष्काषित करना कितना सही कितना गलत?

नूपुर इस बात से भली भांति परिचित थी कि वो एक राष्ट्रीय चैनल पर लाइव डिबेट कर रही हैं। बावजूद इसके उन्होंने चैनल पर मुस्लिम धर्म के बारे में जो आपत्ति जनक टिप्पणी की है इसे जानबूझकर किया गया अपराध भी कह सकते हैं।

Updated On: Jun 12, 2022 13:20 IST

Dastak

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अजय चौधरी

बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से निष्कासित किए जाने का फैसला उनकी पार्टी के सही समय पर लिए गए फैसलों में से एक है। नूपुर को भाजपा ने प्रवक्ता जैसी एक अहम जिम्मेदारी दी हुई थी जिसका निर्वहन वो देश के राष्ट्रीय चैनलों पर उस समय कर रही थी जब देश ज्ञानवापी मस्जिद जैसे अहम धार्मिक मुद्दों के दौर से गुजर रहा था। नुपूर को समझना चाहिए था कि हमारे देश का संविधान सभी धर्मों से जुड़े लोगों को समान अधिकार देता है, साथ ही दुनिया का कोई भी धर्म किसी अन्य धर्म का अपमान करने की बात नहीं कहता।

भारत में हम सभी एक दूसरे धर्म के प्रति सम्मान का नजरिया रखते हैं। हम अपना धर्म जितनी कट्टरता से मानते हैं उतनी ही मजबूती से दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान भी करते हैं और उनके धर्म पर सवाल नहीं उठाते। इसके पीछे के मकसद आपस में सौहार्द स्थापित करना होता है, जिससे हमारा समाज और देश एकता की भावना के साथ आगे बढ़ सकें और हम अच्छे मुद्दों पर चर्चा करें न की इतिहास के मुद्दों पर आपस में लड़कर पीछे की तरफ बढ़ें।

नूपुर इस बात से भली भांति परिचित थी कि वो एक राष्ट्रीय चैनल पर लाइव डिबेट कर रही हैं, वो ऐसा पहली बार भी नहीं कर रही थी। बावजूद इसके उन्होंने चैनल पर मुस्लिम धर्म के बारे में जो आपत्ति जनक टिप्पणी की है वो निंदनीय है और इस आधार पर हम इसे जानबूझकर किया गया अपराध भी कह सकते हैं। इसलिए कुछ लोगों के अनुसार उन पर आपराधिक मुकदमा किए जाने की जो मांग है वो भी यहां जायज ठहरती दिखती है।

सिर्फ नूपुर ही नहीं देश में आजकल बहुत से नागरिक सांप्रदायिकता का शिकार हो चले हैं, यहां धार्मिक भावना भडकाई जा रही है और वाट्सएप्प आदि एप्पस पर अन्य धर्मों के बारे में गलत संदेश चलाकर हमें एक दूसरे से लड़ाया जा रहा है। हालांकि ये सब अधिकारिक तौर पर नहीं हो रहा इसलिए ये सुर्खियों में नहीं आता। टीवी डिबेट्स में इस तरह की बातें अब आम हो चली हैं, उसी भाषा और स्तर का शिकार नूपुर शर्मा भी हैं जिसमें वो एक कदम आगे बढ़ गई।

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गल्फ देशों के दबाव के कारण भारत ने नुपूर के बयान से खुद को अलग बताया और सत्ताधारी पार्टी ने उन्हें पांच साल के लिए निष्कासित कर दिया। पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए उनका बयान आज देश-विदेश में मुद्दा है। हमें जहां इस बयान के बाद आग को दबाना चाहिए था हम सोशल मीडिया इत्यादी पर इसपर अधिक बात कर देशभर में चिंगारी लगाने का काम कर रहे हैं। नतीजतन देश के कई हिस्सों में ये मुद्दा चिंगारी का काम कर रहा है और वहां से छिटपुट हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं।

(लेखक दस्तक इंडिया के ए़डिटर हैं)

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