ये तस्वीर केवल प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल की गई है। सोर्स- फेसबुक
अजय चौधरी

Photo- Ajay Chaudhary
कार्यकर्ताओं को छोड़ दें तो इस बार तीन तरह का वोटर नजर आ रहा है। एक वोटर चीख रहा है, लहर बता रहा है। एक वोटर चुप है। वो कैमरे के सामने नहीं आना चाहता। न कुछ बोलना चाहता। वो किसी को नाराज नहीं करना चाहता न किसी दिक्कत में फंसना चाहता। पर अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहता है।
तीसरा वोटर कैमरे के सामने आने पर मोदी-मोदी बोलता है और चला जाता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। जो दो नारे लगा वापस चला जाए उसकी बाईट स्क्रीन पर भी नहीं आ सकती। वो बस कैमरे को नाराज नहीं करना चाहता था। खासकर व्यापारी वर्ग कैमरे के सामने आने से कतरा रहा है। ग्रामीण कैमरे के सामने आ तो रहे हैं लेकिन वो भी गोलमोल जवाब दे रहे हैं। जो खुलकर बोल रहे हैं उनमें से अधिकतर कार्यकर्ता हैं।
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इसलिए उम्मीद नहीं लग रही जो सर्वे टीम घूम रही हैं लोग उनसे भी सच बोलेंगे। बड़ी पार्टियों की बड़ी मार्किटिंग को छोड़ दें तो जमीनी स्तर पर हव्वे से अलग क्या माहौल है समझ पाना मुश्किल है। लोकतंत्र के इस पर्व में चुनाव आयोग पहले ही हार चुका है। सुप्रीम कोर्ट अपने अस्तीत्व की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में जीत-हार की गिनती 23 तक हो ही जाएगी। तभी के रिजल्ट पर भरोसा कीजिएगा।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”