संदीप सिंह
मैं ये इसलिये नही लिख रहा हूं कि हम पंजाबी यूपी या बिहार वालों से बेहतर हैं। लेकिन पंजाब के किसानों ने कृषि संशोधन विधेयकों का विरोध किया, जिसपर आम लोगों ने किसानों का जमकर साथ दिया। पंजाब की म्यूज़िक इंडस्ट्री के बड़े नाम किसानों के समर्थन में आ खड़े हुए। नतीजन: पंजाब के 13 में से 11 सांसदों ने कृषि बिलों का विरोध किया है। एक केंद्रीय मंत्री को कैबनिट से इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर दिया गया। हमारी आबादी बहुत कम है, इसलिये हमारे विरोध का दिल्ली पर कोई असर नही होता।
यूपी और बिहार की तो आबादी बहुत ज़्यादा है, किसान भी ज़्यादा हैं। आपके अधिकारी बहुत हैं, भोजपुरी इंडस्ट्री पाक से लेकर चीन पर हमला बोलती आई है। लेकिन इन राज्यों के किसानों के लिए उसने कितना विरोध किया? क्या किसानों और आम लोगों को कृषि विधेयकों के पास होने से कोई फ़र्क़ नही पड़ता? क्या मंदिर-मस्जिद की राजनीति के चक्कर में इन राज्यों के लोग अपने अधिकारों की बात भी छोड़ देंगे? क्या आप लोग भूल चुके है कि आपके राज्यों से 120 लोकसभा सांसद चुने जाते है? दिल्ली का रास्ता यूपी और बिहार से निकलता हैं। क्या आप भूल चुके है कि आप दिल्ली की सरकार को हिला सकते है?
मैं पंजाबी हूँ, मेरा राज्य भी इसी देश का हिस्सा है। दिल्ली से हमपर कौन राज करेगा वो यूपी और बिहार के लोग तय करते हैं। हमारी किस्मत आप तय करते हैं। आजकल तो लगता है कि ये हमारा दुर्भाग्य है। इसलिए आप बेहतर लोगों को चुनना शुरू कर दीजिए। आप बेहतर मुद्दों पर बोलना शुरू कर दीजिये जिससे हमारा भी कुछ भला हो सके।
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(लेखक पंजाब से हैं और ये उनके अपने विचार हैं)