नवनीत चतुर्वेदी
इसकी सुगबुगाहट काफी पहले से चल रही थी, नवंबर 2020 में एक विदेशी निवेशक के कहने पर किसी कंसल्टेंट के माध्यम से रिलायंस जनरल इन्शुरन्स कंपनी लिमिटेड जो रिलायंस कैपिटल का पार्ट है, उसकी कुछ एक्सक्लूसिव खोजी रिपोर्टस निकालने का दायित्व मुझे सौंपा गया था...उस विदेशी निवेशक को यह शक था कि रिलायंस वाले अपने ही सिस्टर कंपनीज का फर्जी व बड़ी राशि का क्लेम अपनी ही इन्सुरेंस कंपनी से करते है। इस संबंध में कुछ बेसिक जानकारी जुटाने का काम अपने जिम्मे था।
बताना चाहूंगा कि राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों के अतिरिक्त अपना मुख्य पेशा फाइनेंसियल व कॉरपोरेट इंटेलिजेंस का है, जहां इन्वेस्टिगेटिव स्टोरीज मैं करता रहता हूं। वहां मैंने उनको उदाहरण के तौर पर एक 19 करोड़ की एंट्री दी, जहां रिलायंस जनरल इन्सुरेंस से रिलायंस के अन्य निदेशकों को क्लेम दिया गया था। जहां अकेले 2.95 करोड़ का क्लेम छोटे बाबू जय अम्बानी को हासिल हुआ था।
इन विदेशी निवेशकों को सिर्फ कोई एक क्लू चाहिए होता है, जितनी फीस उन्होंने दी थी उसके मुताबिक उतना खोज कर उनको दे दिया गया। एसबीआई ने रिलायंस के एकाउंट को फ्रॉड घोषित किया, वो तथ्यात्मक सही है ,फॉरेंसिक ऑडिट में सब पोल खुली होगी। यदि एसबीआई या सीबीआई को अपने से कोई मदद चाहिए तो देने को तैयार है।।
पुनश्च जब राफेल मामले की खोजबीन शुरू की उन दिनों बड़े हास्यास्पद मामले सामने दिखा करते थे, करीब 11 अलग अलग कंपनीज रिलायंस ने डिफेंस सेक्टर में बना रखी थी यदि उन कंपनीज का बैंक बैलेंस बताऊं तो कहीं 7500/-, कहीं 11000/- एक जगह सिर्फ 1500 ही थे, अधिकतम बैंक बैलेंस उनका डेढ़ लाख का मिला।
अब इतनी भारी भरकम रकम के साथ वो कौनसा हवाई जहाज ,टैंक मिसाइल बनाने वाले थे यह सिर्फ एंटायर पॉलिटिकल साइंस और रेडार व वैक्सीन साइंटिस्ट साहब ही बता सकते है। नागपुर के मिहान सेज में जो जमीन ली गई थी वो भी डाइवर्जन ऑफ फण्ड का केस है, बैंक के साथ फ्रॉड वहां भी हुआ है वो पैसा रिलायंस इंफ़्रा से यहां आया था रकम करीब 25 करोड़ की थी वो।
ये सब धन पशु सिर्फ अपने ब्रांड के भौकाल, अपनी मीडिया और पीआर के दम पर आम जनता के पैसे पर मौज कर रहे है और इनको शह देने वाले और इनकी पीठ पर अपना हाथ रखने वाले किसी भी एंगल से देशभक्त राष्ट्रवादी नही है। उनको भी क्रिमिनल कांस्पीरेसी 120बी और धोखाधड़ी में साथ साथ मुलजिम बनाना चाहिए।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। ये आर्टिकल नवनीत चतुर्वेदी की फेसबुक पोस्ट से ली गयी है।)
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