भारत सरकार ने गन्ना किसानों को सहायता के तौर पर 3,500 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। ये रुपए इन किसानों के सीधे खाते में आएंगे, ऐसा सरकार ने कहा है। सरकार ने ये कदम ठीक उस समय उठाया है जब तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को घेरा हुआ है। इससे ये सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे समय पर ही क्यों ये सहायता गन्ना किसानों को की जा रही है। ताकि किसान आंदोलन ढीला पड़ जाए? पहले जान लेते हैं क्या है ये सहायता जो सरकार ने की है फिर इस समय क्यों कि है उसपर बात करेंगे।
गन्ना किसानों को इस राशी का किस तरह मिलेगा लाभ-
सरकार के अनुसार देश में पांच करोड़ गन्ना किसान हैं और चीनी मिलों में काम करने वाले पांच लाख के करीब कामगार हैं। इन सभी को ये सहायता दी जाएगी। सरकार ने कहा है कि वो इन सभी के खातों में सीधे 3500 करोड़ रुपए सहायता के रुप में जमा करेगी। इसके अलावा इसमें से कुछ राशि बचेगी तो वो गन्ना मीलों को दे दी जाएगी ताकि वो बाद में किसानों को आसानी से भुगतान कर सकें।
सरकार ने क्यों कि सहायता-
सरकार की मानें तो किसान जो गन्ना मिलों को बेचते हैं उसका भुगतान उन्हें लंबे वक्त से नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि मिलों के पास चीनी का अतिरिक्त स्टॉक है। सरकार के अनुसार वो इस अतिरिक्त स्टॉक को खत्म करने पर काम कर रही है और फिलहाल किसानों की सहायता के लिए अभी 3500 करोड़ की राशि किसानों को दे रही है। सरकार का ये भी कहना है कि इस सब्सिडी का उद्देश्यक चीनी मिलों द्वारा चीनी सत्र 2020-21 के दौरान अधिकतम स्वी कार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यूश) के तहत 60 लाख मीट्रिक टन की मात्रा तक चीनी का निर्यात करने पर उसके प्रबंधन, सुधार तथा अन्यए प्रसंस्कअरण लागत और अंतर्राष्ट्री य तथा घरेलू परिवहन एवं माल भाड़ा शुल्के समेत उस पर आने वाली कुल बाजार कीमत को पूरा करना है।
किसानों के हितों के प्रति समर्पित @narendramodi सरकार ने आज एक और बडा निर्णय लेते हुए गन्ना किसानों के लिए ₹3500 करोड़ की सहायता को मंजूरी दी।
यह राशि सीधे किसानों के खातों में जमा होगी। इस निर्णय से पांच करोड़ गन्ना किसान व पांच लाख कामगार लाभान्वित होंगे।#GovtWithGannaKisan pic.twitter.com/RdYsKfWTPJ
— Amit Shah (@AmitShah) December 16, 2020
गन्ना किसानों की सहायता का क्या किसान आदोंलन से कोई वास्ता है?
गन्ना किसानों की मदद के समय को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि इसका कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे आंदोलन से वास्ता है। क्योंकि दिल्ली के करीब पश्चिमी उत्तरप्रदेश में बड़ी संख्या में गन्ना किसान रहते हैं। मुख्यत: बागपत, शामली, मुज्जफरनगर, मेरठ और इसके आसपास के इलाकों में किसान गन्ने की खेती करते हैं। यहां के किसान भी कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज धीरे-धीरे उठा रहे हैं। दिल्ली के गाजीपुर बॉडर पर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले बडी संख्या में पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान धरना दे रहे हैं।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान आंदोलन से न जुडे इसलिए सहायता?
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान अगर खुलकर किसान आंदोलन से जुड़ जाते हैं तो सरकार के लिए ऐसे में असमंजस की स्थिती आ सकती है और उसे तीन नए कानून वापस लेने पर विवश होना पड़ सकता है। क्योंकि दिल्ली के नजदीक होने की वजह से ये किसान दिल्ली का राशन-पानी बंद करने में देर नहीं लगाएंगे। साथ ही किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में इस क्षेत्र के किसान किसान कईं बार दिल्ली का घेराव कर अपनी मांगे मनवा कर जा चुके हैं। यहां में आंदोलन को लेकर खापों की मीटिंग और लोकल स्तर पर किसानों का जुड़ाव तेज हो रहा है। हो सकता है सरकार आंदोलन बड़ा न हो और किसानों में फूट पड़ी रहे इसपर विचार करते हुए ऐसे समय गन्ना किसानों की मदद का निर्णय लिया हो। ताकि ये किसान सरकार से संतुष्ट हो और आंदोलन से न जुडे। क्योंकि यहां के किसान पंजाब और हरियाणा के किसानों की तरह गेंहूं मंडियों में बेचने जितना नहीं उगाते।
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किसानों के नाम पर हुई सिर्फ गन्ना मिलों की सहायता-
उत्तरप्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर सुधीर पंवार की मानें तो सरकार ने एक बार फिर किसानों के नाम पर चीनी मिलों को सब्सीडी दी है। ताकि वो अपने माल को एक्सपोर्ट कर सकें। सरकार द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज की हैडिंग में तो किसानों की सहायता की बात लिखी गई है लेकिन उसमें अदंर लिखा गया है कि इस धन का उपयोग मिलों को अपग्रेड करने और माल को एक्सपोर्ट करने में आने वाले ट्रांशपोर्टेशन के खर्चों जैसे कार्यों में किया जाएगा। प्रोफेसर सुधीर कुमार के अनुसार गन्ना किसानों को चाहिए कि गन्ने की कीमतों में वृद्धी हो लेकिन सरकार की इस घोषणा में ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है।
सरकार की प्रेस रिलीज़ के टाइटिल और प्रचार से लगता है कि गन्ना किसानो को ₹3500 करोड़ की सब्सिडी दी गई है। लेकिन सब्सिडी चीनी मिलो को दी गई है जिससे वे चीनी निर्यात कर सके। स्पष्ट है किसानो को कोई अतिरिक्त गन्ना मूल्य नही मिलेगा।@spsingh64 pic.twitter.com/UsslgmzQqj
— Sudhir Panwar (@panwarsudhir1) December 16, 2020
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