पूरे देश में एनआरसी लागू कर क्या हासिल करना चाहती है सरकार?

Updated On: Nov 20, 2019 16:56 IST

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अजय चौधरी

ajay chaudhary chief editor dastak india
Photo- Ajay Chaudhary

असम में 3.3 करोड लोगों की एनआरसी कराने पर 1288 करोड रुपए खर्च हुए हैं। अब गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि इसे पूरे देश पर लागू कराया जाएगा। यानी कि 130 करोड लोगों पर, आप अपने अपने हिसाब से गणित लगा लीजिए ये कितना करोड बैठेगा।

मुझे इतना खर्च बेफिजूल लगता है और इस देश के नागरिकों को खुद को यहां का नागरिक साबित करने के लिए धक्के खाने पडेंगे ये तय है। देश का मजदूर, किसान और नौकरीपेशा एक बार फिर नोटबंदी की तरह परेशान होगा। आप कब तक देश के नाम पर इन्हें तंग करेंगे?

दूसरा ये भी तय है, जो इसकी सूची में नहीं आ पाएंगे और इस देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे क्या उन्हें यहां से उठाकर बाहर फेंका जाएगा? कौन देश उन्हें लेगाा? जवाब है कोई नहीं। क्योंकि 19 लाख छह हजार लोगों को असम में एनआरसी की फाईनल सूची से बाहर किया गया है। पूरे देश में तो अनगिनत करोड लोग इस तरह भारत के नागरिक नहीं रहेंगे। फिर इन्हें कहां भेजा जाएगा? जेल भी आपकी भरी हैं।

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इसका सीधा मतलब है एक मुद्दा लाकर लोगों को आपस में लडाना और एक विशेष समुदाय के लोगों को हीन दिखाना और एनआरसी के नाम पर उन्हें तंग करना। राम मदिंर का मुद्दा अब हाथ से निकल लिया है तो कुछ तो हो जिससे लोग बंटे रह सके और पार्टी का काम चलता रहे और जो विरोध करे वो देशद्रोही।

इससे अच्छा आप इतना खर्च और संसाधनों का दोहन कर ही रहे हैं तो अपने आम नागरिकों के पासपोर्ट क्यों नहीं बनवा देते, इससे वो नागरिक हैं इस बात की भी पुष्टी हो जाएगी और उनके विदेश जाने का इंतजाम भी आसानी से हो जाएगा। आधार कैंप की तरह पासपोर्ट कैंप लगवा दीजिए।

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