रेलवे ने प्राईवेट ट्रेन चलाने के लिए 50 नए रुट तैयार किए हैं और पहली प्राईवेट ट्रेन चलाने का जिम्मा रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी को दिया गया है और पहली प्राईवेट ट्रेन का नाम तेजस एक्सप्रेस है। जिसमें यात्रियों को बेहतर सुविधाएं जैसे ट्रेन की देरी पर मुआवजा और यात्री बीमा जैसी सुविधाएं भी हैं।
लेकिन बावजूद इन सब के इस प्राईवेट ट्रेन का विरोध हो रहा है। विरोध करने वाले कोई और नहीं लोको पायलट हैं। आज उन्होंने यूपी के गाजियाबाद में तेजस एक्सप्रेस के पहले ही दिन उसे रोक दिया। उनका कहना है कि रेलवे के निजीकरण के परिणाम गंभीर होंगें।
देशभर में ऑल इंडिया लोको स्टाफ एसोशिएशन ने रेलवे के निजिकरण के विरोध में काला दिवस के रुप में मनाया है। उनका कहना है कि सरकार रेल चलाने में फेल हो गई है। इसलिए अब वो इसे निजी हाथों में सौंप रही है और प्राईवेट खिलाडियों को देश की बागडौर सौंप देना चाहती है जिससे आखिर में आम जनता का ही नुकसान होगा।
विरोध कर रहे कर्मचारियों को ये भी आशंका है कि यह भारतीय रेल के निजीकरण की शुरुआत है। भविष्य में रेल कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर कर पूरी रेल को प्राइवेट कंपनियों को बेच दिया जाएगा। उनके अनुसार ये आम और गरीब यात्रियों को रेल यात्रा से पूर्ण रूप से वंचित करने की शुरुआत है क्योंकि इसका न्यूनतम किराया लखनऊ से दिल्ली के मध्य हवाई जहाज किराए के बराबर है एवं दूसरी सरकारी रेलवे ट्रेन का लखनऊ से दिल्ली के मध्य कराया इसके किराए से लगभग आधा है।
‘तेजस एक्सप्रेस’ ट्रेन के लेट होने पर यात्रियों को मुआवजे से लेकर मिलेंगी ये सुविधाएं
‘तेजस एक्सप्रेस’ ट्रेन के लेट होने पर यात्रियों को मुआवजे से लेकर मिलेंगी ये सुविधाएं कर्मचारियों ने एक ब्लॉग लिख अपनी बात सरकार के सामने रखी है। उनके अनुसार सरकारी ट्रेन पूरी तरह से फुल होने के बावजूद, लगभग 300 से ज्यादा वेटिंग होने और जनरल डिब्बों को जानवरों जैसा भरने के बाद भी लाभ नहीं कमा पा रही है तो साधारण सा हिसाब है कि प्राइवेट कंपनियां इसमें जबरदस्त किराया बढ़ाकर ही फायदा ले पाएंगी।
इस ट्रेन में लगभग दोगुना किराया वसूलने के बाद यात्रियों के लिए घोषणा की गई है की ट्रेन 1 घंटे लेट होने पर ₹100 एवं 2 घंटे से अधिक लेट होने पर 250 दिए जाएंगे लेकिन किस प्रक्रिया के माध्यम से दिए जाएंगे अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है वहीं रेल यात्रियों का दुर्घटना बीमा लाखों रुपए दिया जाएगा जो कि पहले ही किराए में वसूल लिया गया है।
रेलवे का प्राईवेटकरण करने के पीछे बडी वजह रेलवे की लेटलतीफी को बताया जा रहा है। लेकिन कर्मचारियों का मानना है की भारतीय रेल में मात्र 10% कामचोर कर्मचारियों की सजा 90% ईमानदार रेल कर्मचारियों को देना नाइंसाफी है। सरकार के पास पर्याप्त संसाधन एवं तंत्र है जो कामचोर कर्मचारियों पर लगाम लगा सकती है। देखें हमारी ये खास वीडियो-