किरण शर्मा
भारत के लिए यह बेहद चिंता की बात है, कि इतनी बड़ी युवा आबादी के बाद भी बेरोजगारी यहां अपना डेरा जमाए बैठी है। भारत का शिक्षा उद्योग 117 अरब डॉलर है लेकिन अगर रोजगार की बात करें तो यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य संस्थानों पर लाखों रुपए की भारी फीस जमा कराने के बाद भी शिक्षित युवा रोजगार पाने के लिए धक्के खा रहे हैं। हर साल बड़े संस्थानों से लाखों युवा डिग्री प्राप्त करके निकलता है मगर जब वह रोजगार के लिए बाहर निकलता तो उसके हाथ निराशा लगती है। आखिर इसका क्या कारण है, कि भारत में नौकरियों के लिए पद खाली है पर युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2023 में चौंकाने वाली बात सामने आई जिससे आप जान सकते हैं, कि भारत में बढ़ती बेरोजगारी का कारण क्या है।
युवाओं में स्किल्स (Skills) की कमी
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट की जांच में यह सामने आया, कि भारत में डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं में से 50% ऐसे युवा हैं जिनके पास नौकरी करने के लिए उचित स्किल्स नहीं है इसलिए उन्हें नौकरी मिल ही नहीं पाती
है। कंपनी ने इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 3 लाख 75 हजार
छात्रों का टेस्ट लिया और उस टेस्ट के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई। जिसके आंकड़े चौकाने वाला है, रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्नातक और परास्नातक डिग्री प्राप्त करने वाले युवा ज्यादा बेरोजगार है। जिनमें से 50% ऐसे हैं जो रोजगार के योग्य नहीं है। इसके पीछे का कारण है, चिन्हित नौकरी के लिए स्किल्स की कमी जोकि युवाओं में ज्यादातर पाई जाती है और आज युवा अपने जीवन में इसे महसूस भी कर रहा है।
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डिग्रियां नहीं किसी काम की
आज माता- पिता पढ़ाई में और बड़े-बड़े संस्थानों में अपने बच्चों की लाखों रुपए की फीस क्यों भर रहे हैं इसलिए ताकि उनका बच्चा आगे चलकर एक बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकें लेकिन आज उनके द्वारा प्राप्त की गई डिग्रीयां उनको रोजगार दिलाने में सक्षम नहीं है। रिपोर्ट में सामने आया है, कि आने वाले कुछ समय में 50% ऐसे युवा बेरोजगार हो जाएंगे जिनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री है। हम अभी की ही बात कर लेते हैं आज MBA की डिग्री प्राप्त करने वाले 40% युवा बेरोजगार हैं क्योंकि उनके पास नौकरी के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं है। इसके अलावा टेस्ट के दौरान
इंजीनियरिंग के 83%, आईटीआई से डिप्लोमा या अन्य कोर्सेज करने वाले 66%, B.Com के 40%, Bsc के 63%, Polytechnic के 72%, बैचलर इन फार्मेसी यानी बीफार्म 43% ऐसे छात्र है जो नौकरी के योग्य नहीं है। अब इन छात्रों के पास डिग्री तो है पर नौकरी करने के लिए वह स्किल्स नहीं है जो उन्हें रोजगार दिला सके ऐसे में इनकी डिग्रियां किस काम की है?
लेबर मार्केट में ग्रेजुएट युवाओं की संख्या अधिक
इंडिया स्किल्स के अंतर्गत यूनिसेफ लेख के अनुसार सामने आया, कि देश की लेबर मार्केट में वर्तमान समय की बात करें तो 5.5 करोड़
ऐसे लोग हैं जो ग्रेजुएट है और अनुमान जताया जा रहा है, कि आने वाले समय में यानी 2030 तक इस मार्केट में दसवीं पास युवाओं की संख्या 30 करोड़ हो जाएगी। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि बड़े-बड़े संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है जो युवाओं को प्लेसमेंट दिलाने की बात करते हैं। ऐसे में युवाओं की इन डिग्रियों का क्या काम है? यह युवाओं को आज के प्रतिस्पर्धा भरे दौर के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?
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