किरण शर्मा
नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल के द्वारा यह घोषणा की गई है, कि भारत के किसी भी दूसरे राज्य के पात्र अभ्यर्थी बिहार में शिक्षक पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया जिसका शिक्षक संघ और बिहार के अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं और आंदोलन करने की चेतावनी दे रहें है। इस सबके चलते बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने शिक्षक भर्ती में इस कदम को उठाने के पीछे की वजह बताई है कि ऐसा क्यों किया गया है-
बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर यह फैसला लिया गया है, कि बिहार सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए बिहार के किसी नागरिक को आरक्षण नहीं होगा अब किसी भी राज्य का नागरिक सरकारी शिक्षकों की भर्ती के लिए बिहार में आवेदन कर सकता है। उसके लिए यह जरूरी नहीं है, कि आपके पास राज्य का डोमिसाइल हो।
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क्या कहा शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने-
इस फैसले को लेकर लगातार शिक्षक संघ द्वारा विरोध किया जा रहा है। मंगलवार को शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने यह साफ किया, कि
देश के विभिन्न राज्यों में जो भी टैलेंटेड छात्र हैं और बेरोजगार है वह बिहार के शिक्षक पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्री ने कहा, कि हम लोगों के लिए यह समस्या है, कि यहां मैथ, केमिस्ट्री, फिजिक्स और अंग्रेजी में कम अभ्यार्थी मिल पाते हैं जिसकी वजह से सीट खाली रह जाती है
इसलिए यह निर्णय लिया गया है ताकि बेहतर शिक्षण कार्य हो सकें।
इससे अंग्रेजी और साइंस के विषय की समस्या भी हल हो सकेगी। इस फैसले का विरोध कर रहे लोगों के बारे में शिक्षा मंत्री ने कहा, कि हर बात का विरोध होता है, इस पर हम क्या कर सकते हैं।
छात्र संघ और नेता कर रहे विरोध-
बिहार कैबिनेट में 25 एजेंडो पर मुहर लगने के साथ नई शिक्षक बहाली नियमावली में भी संशोधन किया गया। जिसके आते ही विरोध शुरू हो गया है। इस पर छात्र संघ के नेता दिलीप कुमार ने कहा, कि बिहार सरकार के द्वारा लिया गया यह निर्णय बहुत गलत है, सरकार ने बिहार के अभ्यार्थियों के लिए हकमारी का काम किया है। इसके अलावा इस मामले पर बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं इसलिए इनको राष्ट्रीय परिदृश्य दिख रहा है, बिहार के युवाओं की चिंता नहीं है।
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