Gyanvapi: बुधवार को वाराणसी जिला अदालत में ज्ञानवापी परिसर में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने की इजाजत दी। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपनी याचिका को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएं। वाराणसी कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी के तहखाना में पूजा अर्चना करने की इजाजत दी गई है। जिसके बाद गुरुवार की सुबह लोग पूजा करने वहां पहुंच गए। दरअसल गुरुवार को करीब 3:00 बजे मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट रजिस्टर्ड के पास पहुंचा और वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध करने लगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस-
सुबह 4:00 बजे रजिस्ट्रार ने चीफ जस्टिस को मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बारे में बताया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने केस की फाइल देखने के बाद कहा कि याचिका कर्ता किसी भी तरह की राहत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने इस मामले को रखें। मुस्लिम पक्ष चाहता है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की जाए। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव का कहना है कि जिला जज अजय कृष्णा व्यास तयखाने में पूजा करने के अधिकार विकास जी के नाते शैलेंद्र पाठक को दिया था।
अदालत के फैसले के खिलाफ-
उन्होंने कहा कि अदालत ने शैलेंद्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के जरिए पुजारी तय किया जाए। इसके बाद जिलाधिकारी उस पुजारी के जरिए तहखाना में मौजूद मूर्तियों की पूजा सभी के जाने की व्यवस्था करें। इसके लिए 7 दिन का समय मिला है, वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने अदालत के फैसले के खिलाफ कहा की हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार देकर अंतिम फैसला दे दिया गया। हम लोग इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाने वाले हैं। मुस्लिम पक्ष ने फैसले के खिलाफ आपत्ति जताई।
ये भी पढ़ें- Budget 2024: घर खरीदने और बनाने के लिए मध्यम वर्ग को मदद करेगी सरकार, यहां जानें योजना
सीधे सुप्रीम कोर्ट-
मुस्लिम पक्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने वाला था। हालांकि वह हाई कोर्ट जाने की बजाए सीधे सुप्रीम कोर्ट चले गए। लेकिन अब उन्हें हाई कोर्ट जाने के निर्देश मिल चुके हैं। हिंदू पक्ष ने अदालत में कहा है कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार तहखाना में पूजा करता था। लेकिन तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार के समय इसे बंद कर दिया गया। इसीलिए हिंदुओं को एक बार फिर से पूजा का अधिकार दिया जाना चाहिए। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है और इसी वजह से उसमें पूजा पाठ की इजाजत नहीं मिल सकती।
ये भी पढ़ें- NHAI ने बढ़ाई FasTag केवाईसी की आखिरी तारीख, यहां जाने नई डेडलाइन