महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी के नेता अजित पवार ने बीजेपी को अपना समर्थन देकर राजनीतिक गलियारों में काफी मलचल पैदा कर दी है। वहीं, शरद पवार के भतीजे अजित पवार के इस कदम से सभी राजनीतिक दल चौंक गए है। लेकिन चारों तेरफ यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि अजित पवार ने भी अपने चाचा शरद पवार साल 1978 वाले इतिहास को दोहराया है। जी हां, कई सालों पहले शरद पवार ने भी इसी तरह अपनी पार्टी ही को धोखा दिया था और अपनी ही अलग एक नई पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) के नाम से खड़ी की थी।
दरअसल, देश में इमरजेंसी लगने के बाद जब साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए तो पूर्व पीएम इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव हार गई और भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। वहीं, कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र से भी कई सीटों से हाथ धोना पड़ा था। हार का जिम्मा लेते हुए शंकर राव चव्हाण ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद वसंतदादा पाटिल को महाराष्ट्र का सीएम बनाया गया।
इसी के चलते कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंट गई, जिसमें एक हिस्सा कांग्रेस (यू) और दूसरा कांग्रेस (आई) बना। उस समय शरद पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हुए। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उस दौरान पवार ने पाटिल को धोखा देकर उनकी सरकार को खतरे में डाल दिया था।
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इसके बाद 1978 में कांग्रेस (यू) और कांग्रेस (आई) ने विधानसभा चुनाव अलग-अलग पार्टी के रूप में लड़ा। लेकिन बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए ये दोनों हिस्से एक हो गए और उस दौरान पाटिल महाराष्ट्र के सीएम बने रहे तो शरद को उद्योग और श्रम मंत्री बनाया गया। इन चुनावों में जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन उसके पास बहुमत नहीं था। इस स्थिति में कांग्रेस के दोनों हिस्सों ने आपस में समझौता कर सरकार बना ली।
कुछ समय बाद दूर रहने के बाद उन्होंने एक बार फिर से कांग्रेस से हाथ मिलाया। लेकिन उन्होंने दोबारा कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ लिया और अपने विधायकों के साथ मिलकर एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। इस दौरान पार्टी के बड़े नेता पीए संगमा और तारिक अनवर भी उनके साथ थे।
बता दें, एनसीपी नेता अजित पवार ने बीजेपी को अपने समर्थन देकर महाराष्ट्र में हलचल मचा दी। देवेन्द्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के सीएम पद और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। वहीं, एनसीपी में लगी इस सेंध पर शरद पवार ने कहा कि बीजेपी को समर्थन देना अजित का अपना निजी फैसला है न कि उनकी पार्टी का। अब देखना ये होगा कि शरद पवार अपने भतीजे के साथ आते है या उनके खिलाफ जाते है।