अजय चौधरी
आम जनता के विरोध के बाद बल्लू राजा की एतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ का नाम बदलकर बलरामगढ़ करने का प्रस्ताव देने वाले स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा के सुर अब बदले बदले नजर आ रहे हैं। उनके अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री को कोई प्रस्ताव नहीं दिया था। विरोध बढने के बाद विधायक मूलचंद शर्मा भाजपा जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा के साथ चंडीगढ जाकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को आम जनता की राय से परिचत कराया। तब जाकर मुख्यमंत्री ने नाम न बदले जाने का आशवासन विधायक को दिया।
गौरतलब है कि बीते दिनों बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में हुई मुख्यमंत्री की रैली में उन्होंने स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा के प्रस्ताव पर पांच लाख की आबादी वाले बल्लभगढ़ का नाम बदलकर बलरामगढ़ करने की घोषणा की थी। बल्लभगढ़ का नाम बदले जाने की घोषणा होते ही स्थानीय नागरिकों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करना शुरु कर दिया। लोगों का कहना है कि बल्लभगढ़ शहर बल्लू राजा ने बसाया था और इसका नाम उनके ही नाम पर रहना चाहिए बलराम तो बल्लू की तीसरी पीढी का वंसज था। लोगों का ये भी कहना था कि बेवजह नाम बदलने से उन्हें अपने पते बदलने और अन्य कागजी कार्यवाही में परेशानी होगी साथ ही सरकार पर भी करोडों का आर्थिक बोझ पडेगा। नाम बदले जाने को लेकर छात्र संगठन युवा आगाज ने भी स्थानीय लोगों पर सर्वे किया था जिसमें 95 फीसदी लोग नाखुश पाए गए थे।
दस्तक इंडिया से बात करते हुए बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया था। शर्मा ने कहा एक एनजीओ के माध्यम से ऐसा प्रस्ताव आया था जिसपर मुख्यमंत्री ने जनता से रायशुमारी की थी। रायशुमारी के बाद हमने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जनता के रुख से अवगत कराया है जिसके बाद उन्होंने जनता के रुख का सम्मान करते हुए नाम न बदले जाने का आशवासन उन्हें दिया है।