Blue Whale नाम का ऑनलाइन खूनी गेम अब भारत में भी दाखिल होता दिखाई दे रहा है। दुनिया में अब तक 200 से ज्यादा युवाओं को मौत नींद सुला चुका यह गेम भारत में भी एक किशोर का निवाला बना लिया। यह गेम इंटरनेट का एक ऐसा घातक खेल है जिसे खेलने वाले को 50वें दिन अपनी जान देना होता है।
यह गेम कैसे बच्चों को अपनी चपेट में लेता है और फिर किस तरह से उन्हें खुदकुशी करने को मजबूर करता है? इस बारे में हम आपको विस्तार बताएंगे। हम आपको यह भी बताएंगे कि गेम के शिकार हुए बच्चों में क्या लक्षण दिख सकते हैं और उन्हें मौत के मुंह में जाने से कैसे बचाएं। लेकिन इससे पहले जान लीजिए कि ‘ब्लू व्हेल’ गेम नाम का जिन्न आया कैसे?
इस गेम ताजा शिकार मुंबई का किशोर मनप्रीत है। 14 साल के मनप्रीत ने गेम के चैलेंज को पूरा करने के लिए 7वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने घर वालों की शिकायत के आधार पर एफआरआई दर्ज कर मामले की पड़ताल में जुट गई है। पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में बताया है कि यह मामला ऑनलाइन गेम ‘ब्लू व्हेल डेयर’ का लगता है। पुलिस के इस संदेह से ब्लू व्हेल गेम पर कई सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि रूस समेत दुनिया के कई देशों सैकड़ों लोग इसके शिकार हो चुके हैं।
‘ब्लू व्हेल गेम’ या ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ नाम का गेम रूस में बनाया गया है। इसे फिलिप बुडेकिन नाम के शख्स ने 2013 में बनाया था। इस गेम के जरिए रूस में सुसाइड का पहला मामला 2015 में सामने आया था। रूस में नवंबर 2015 से अप्रैल 2016 के बीच 130 युवकों ने आत्महत्या की थी। इस गेम में यूजर को 50 दिन तक कुछ खास तरह के टास्क दिए जाते हैं। शुरू में हॉरर फिल्म देखने जैसे आसान टास्क दिए जाते हैं और उसे पूरा करने के बाद शरीर को चोंट पहुंचाने जैसे टास्क दिए जाते हैं। यूजर जब सारे टास्क पूरा करलेता है उसे अंत में सुसाइड करने का टास्क दिया जाता है। अब यूजर इस गेम का इतना आदी हो चुका होता है कि वह टास्क पूरा किए बिना नहीं रुकता और जान दे देता है।