पेट्रोल और डीजल की कीमतें साल 2014 के बाद सबसे ऊंची स्तर पर पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल पहले के मुकाबले आधी रह गई है, लेकिन बावजूद इसके देश में पेट्रोल, डीजल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है. मुंबई में तो पेट्रोल के दाम बुधवार को करीब 80 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया. मोदी सरकार के आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 53 फीसदी तक कम हो गए हैं, लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम घटने की बजाय बेतहाशा बढ़ गए हैं. इसके पीछे असली वजह यह है कि तीन सालों के दौरान सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कई गुना बढ़ा दी है. मोटे अनुमान के अनुसार पेट्रोल पर ड्यूटी 10 रुपये लीटर से बढ़कर करीब 22 रुपये हो गई है.
SMC ग्लोबल के रिसर्च हेड डॉ रवि सिंह ने बताया कि 1 जुलाई, 2014 को कच्चे तेल की कीमत 112 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि उस दिन देश में पेट्रोल का दाम 73.60 प्रति लीटर था. 1 अगस्त, 2014 को कच्चे तेल में नरमी आई और इसका 106 डॉलर प्रति बैरल हो गया. उस दिन देश में डीजल की कीमत 58.40 रुपये प्रति लीटर थी. अगर मौजूदा साल की बात करें तो बुधवार यानी 13 सितंबर, 2017 को कच्चे तेल का भाव 54 डॉलर प्रति बैरल है.
जुलाई से पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. इस समय पेट्रोल की दर तीन साल के अपने उच्च स्तर पर है. पेट्रोल कीमतों में प्रतिदिन मामूली संशोधन होता है. दिल्ली में 16 जून को पेट्रोल का दाम 65.48 रुपये लीटर था, जो 2 जुलाई को घटकर 63.06 रुपये लीटर पर आ गया था. हालांकि उसके बाद से सिर्फ गिनती के दिन छोड़कर प्रतिदिन पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इन मौकों पर पेट्रोल का दाम 2 से 9 पैसे लीटर घटा था.
उधर, नए आंकड़ों के अनुसार देश में ईंधन की मांग में कमी आई है. अगस्त महीने में इसमें 6.1 प्रतिशत गिरावट आई है. देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ के कारण डीजल और पेट्रोल की खपत प्रभावित होने से ईंधन की मांग कम हुई है. पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार देश में सर्वाधिक खपत वाला ईंधन डीजल की मांग 3.7 प्रतिशत घटकर 59 लाख टन रही, जबकि पेट्रोल की बिक्री 0.8 प्रतिशत घटकर 21.9 लाख टन थी.