अजय चौधरी
दिये बनाते हुए गरीब कुम्हार के फोटो के साथ पिछले साल तक मैसज फैला करता था कि पटाखे धर्म विशेष के लोग बनाते हैं इसलिए इस दिवाली पटाखे न फोड़ें दिये जलाएं। वहीं साथ में एक दाढ़ी वाला व्यक्ति मुर्गा छाप बनाता चस्पा किया जाता था। ऐसा ही कुछ चाइना की लड़ियों को लेकर होता था। ऐसा कैंपेन इसलिए भी चला था क्योंकि एक बिजनेसमैन बाबा पटाखों के बाजार में उतर रहा था और जड़ी बूटियों की खुश्बू से भरपूर ध्वनि शांति फुलझड़ी, हर्बल अनार, मोदी चकरी और लक्ष्मी बम बना रहा था।
आज वहीं फैला रहे हैं कि पटाखे पर रोक हिन्दूओं की धार्मिक भावना के खिलाफ है। और कहा जा रहा है कि ईद पर बकरा काटने से रोक क्यों नहीं लगाई गई सिर्फ हिन्दुओं के साथ ही ऐसा क्यों। जैसे इन्हें श्री राम ने कहा हो कि मेरे अयोध्या आने की खुशी में तुम बम-पटाखे फोड़ना। ऐसे में पटाखे को हिन्दू और बकरे को मुस्लिम बनते देर न लगी। भक्तों की कोर टीम द्वारा बनाया ये मेसेज हर कोई समझदार इंसान अपने नाम से अपनी फेसबुक वॉल पर चस्पा कर अपने दूसरे मित्रों से ये सवाल पूछ रहा है। हालात ये हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश पर्यावरण प्रेमियों को भी अब देशद्रोही की नजरों से देखा जाने लगा है। ये सब कुछ उसी तरह है जैसे केजरीवाल ईमानदारी का सर्टिफिकेट बंटा करते थे, अब ये देशभक्ति तय करते हैं।
पर सवाल यही है हर साल दिखने वाला वो गरीब कुम्हार इस साल इन्हें क्यों नजर नहीं आ रहा, उनके बच्चों और परिवार की चिंता अब क्यों नहीं हो रही। क्यों नहीं कहते हम पटाखों में खोने वाले पैसे दिये जलाने में लगाएंगे। क्या अब वो पटाखे बनाने वाले धर्म विशेष के लोग नहीं रहे जो पिछले साल तक थे। अब न ही चीन सीमा पर उत्पात मचा रहा न ही मुस्लमान पटाखे बना रहा।
और यकीन मानिए पटाखों पर बैन से आहत दिल्ली एनसीआर वालों से ज्यादा बाहर वाले हैं। इन्हें लगता है कि हिंदुओं को प्रदूषण से नहीं पटाखों पर लगने वाले बैन से हानि पंहुचेगी। दिल्ली वाले भले ही पटाखे न फोड़ें पर ये इस बार दिल्ली आ जरूर फोड़ेंगे। क्योकिं उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और हां अगर आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हैं तो आप सच्चे हिन्दू नहीं!