देश में रोहिंग्याओं को शरण देने या वापस भेजने पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला ले सकता है। शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह निवेदन किया गया है कि उनके साथ तिब्बतियों और श्रीलंकाई शरणार्थियों की तरह बर्ताव किया जाए। साथ ही उनका कहना है कि वे किसी आतंकी संगठन के प्रभाव में नहीं है।
इससे पहले केंद्र सरकार द्वारा कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया था कि रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं इसलिए उनका यहां रहना ठीक नहीं है। केंद्र ने कोर्ट से यह भी गुजारिश की है कि ये मामला कार्यपालिका का है इसमें सर्वोत्तम न्यायालय हस्तक्षेप न करे।
सरकार का आरोप है कि रोहिंग्याओं ने नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ की है और सुरक्षा के लिहाज से उन्हें वापस भेजा जाना जरूरी है। आपको बता दें कि भारत सरकार का रोहिंग्या मुसलमानों का इंटर सर्विसेज (ISI) और आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के साथ संबंध बताए जाने और देश के लिए खतरा कहे जाने पर एक रोहिंग्या शराणार्थी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।
गौरतलब है कि पिछले महीने गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत अतंरराष्ट्रीय कानून का उल्लघंन नहीं कर रहा है। भारत ने 1951 के यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन में रिफ्यूजियों के लिए किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया था।
राजनाथ सिंह ने बताया कि लोगों को यह समझना होगा कि रोहिंग्या का घुसपैठ करना देश की सुरक्षा पर बहुत बड़ा खतरा है, इसलिए उन्हें शरण नहीं दी जा सकती। इससे पहले गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भारत में अवैध रूप से 40,000 रोहिंग्याओं को वापस भेजे जाने की बात कही थी।