दिल्ली में धर्मस्थलों पर लगे लाउडस्पीकर पर पाबंदी लगाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने शुक्रवार को इस पर केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई अगले साल 29 जनवरी को होगी।
इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संजीव कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि लाउडस्पीकर पर पाबंदी से धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन नहीं होगा।
उन्होनें अपनी दलीलों में कहा है कि लाउडस्पीकर कभी भी हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम, सिख या पारसी सहित किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं रहे हैं। बल्कि इस उपकरण का आविष्कार तो साल 1924 में ही हुआ था। तो ये चार-पांच हजार साल पुराने धर्मों का हिस्सा कैसे हो सकता है। हां, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल जरूर दूसरे नागरिकों के अधिकारों का हनन है।
धर्मस्थलों में देर रात तक लाउडस्पीकर बजने के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उप्र के गृह सचिव, मुख्य सचिव और एनजीटी के प्रमुख को तलब किया है। कोर्ट ने पूछा कि लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर दिए आदेश का पालन क्यों नहीं हो रहा। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।