अजय चौधरी
नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो में सुरक्षा का जिम्मा संभाले सीआरपीएफ का एक फैसला दिल्ली की सडकों पर भीड बढा सकता है। साथ ही आपकी जेब पर भार भी बढ़ा सकता है। दरअसल सीआरपीएफ ने परिक्षण के तौर पर कुछ मेट्रो स्टेशनों पर बडे बैग ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन कारण सुरक्षा को ही बताया जा रहा है। इन स्टेशनों पर सामान की जांच के लिए एक्स रे मशीनों में स्टील के फ्रेम लगाए गए हैं। यात्री सिर्फ 60 सेंटीमीटर की लंबाई, 45 सेंटीमीटर की चौडाई और 25 सेंटीमीटर की उंचाई के बैग ही ले जा सकता है। वहीं एक बैग के अधिकतम वजन को भी 15 किलो तक सीमित कर दिया गया है।
जिन स्टेशनों पर ये रोक लगाई गई है उनमें विशेषकर वो बडे स्टेशन हैं जहां से लोग दिल्ली से अन्य राज्यों में सफर करने को इस्तेमाल करते हैं। रोक वाले स्टेशनों में चांदनी चौक, आनंद विहार, शाहदरा, कश्मीरी गेट और बाराखंभा शामिल है। मेट्रो के चांदनी चौक स्टेशन का एक गेट भारतीय रेल के पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाकर खुलता है। जिससे रेल से दिल्ली आने वाले और दिल्ली से बाहर जाने वाले लोग बडी संख्या में चांदनी चौक स्टेशन से ही मेट्रो में सवार होते हैं। ऐसा ही हाल आनंद विहार स्टेशन का भी है यहां आनंद विहार और कश्मीरी गेट बस अड्डे और रेल के स्टेशन से बडी संख्या में लोग उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल आदि राज्यों में जाते हैं। वहीं शहदरा से मेट्रो स्टेशन का प्रयोग पश्चिमी उत्तरप्रदेश से बस और रेल मार्गों से आने वाले यात्री करते हैं। इन सभी यात्रियों की संख्या रोजाना कईं हजारों में होती है। ऐसे में इक्का दुक्का यात्रियों को छोडकर दूर जाने वाले और दूर से आने वाले इन सभी यात्रियों पर भारी भरकम बैग होते हैं और मेट्रो इनके लिए सबसे सुगम साधन होती है।
सीआरपीएफ का निशाना ये सभी यात्री ही थे क्योंकी उसने प्रयोग के तौर पर भी वे सभी स्टेशन ही चुनें जहां से लोगों का दिल्ली से दूसरे राज्यों को जाना होता है। ऐसे में सीआरपीएफ के इस फैसले से इन सभी यात्रियों को मेट्रो की बजाए टैक्सी या बसों में धक्के खाते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचना होगा। इससे लोगों को असुविधा तो होगी ही टैक्सी आदी का खर्चा उनकी जेब पर भारी पडेगा। वहीं अब जो लोग अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को मेट्रों स्टेशन पर छोडकर अपनी कार से वापस हो लेते थे वो भी अब समान के बडे बैगों के कारण अपनी कार को लेकर सीधे रेलवे स्टेशनों और बस अड्डे तक जाएंगे।
इसस दिल्ली की सडकों पर अतिरिक्त बोझ तो बढेगा ही साथ ही पर्यावरण के लिए भी ये घातक साबित होगा। क्योंकि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी दिल्ली में वाहनों की संख्या कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है दूसरी ओर सीआरपीएफ के इससे फैसले से दिल्ली की सडकों पर वाहनों की संख्या में इजाफा ही होगा और जो परेशानी होगी वो अलग।
अक्सर देखने में आता था कि बडे बैगों की वजह से सीआरपीएफ जवानों को चैकिंग करने में दिक्कतें पेश आती हैं। कईं बार वो बैग एक्सरे स्कैनर मशीनों में फंस जाते हैं। ऐसे में सीआरपीएफ को बडे साईज की स्कैनर मशीनें स्टेशन पर लागने के बारे में विचार करना चाहिए था न कि सामान का साईज और वजन घटाने के बारे में। हालांकि पीक ऑवर में मेट्रो के अंदर बडे बैगों और फर्श पर बैठने वाले यात्रियों की वजह से अन्य यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है।