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Dastak India > Home > देश > अब बिना लाउडस्पीकर होगी मंदिरों में आरती और मस्जिदों में आजान
देश

अब बिना लाउडस्पीकर होगी मंदिरों में आरती और मस्जिदों में आजान

dastak
Last updated: January 8, 2018 11:43 am
dastak
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योगी की सरकार एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है. धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर अवैध तरीके से लाउडस्पीकर बजाए जाने पर रोक लगा दी है. सरकार ने इसके लिए सभी को हिदायत दी है कि बगैर अनुमति के बज रहे सारे अवैध लाउडस्पीकर 20 जनवरी तक हटा लिए जाएं.

धर्मस्थलों, सार्वजनिक जगहों, जुलूसों और जलसों आदि में बिना आनुमति के लाउडस्पीकर बजाने  का यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है. 20 दिसंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया था कि किसके आदेश पर लाउडस्पीकर बज रहे हैं? हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंदिर और मस्जिद में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश के गृह सचिव, मुख्य सचिव और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के प्रमुख को तलब किया था.Image result for लाउडस्पीकर इमेज हैंगिंग ओं टेम्पल

तब कोर्ट ने कहा था कि किसी भी खास मौके पर सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकर बजाने से पहले प्रशासन से इजाजत लेनी होगी और तय शर्तों के साथ ही लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति मिलेगी. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत नहीं है. फिर यूपी सरकार इसका पालन क्यों नहीं कर रही?

फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार ने धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों पर रोक लगा दिया है. प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने निर्देश दिया है कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने वाले 15 जनवरी तक नए नीयम के मुताबिक अनुमति हासिल कर लें. ऐसा नहीं करने पर सभी लाउडस्पीकर 20 जनवरी तक हटा लिए जाएं. इस संबंध में प्रमुख सचिव गृह को 1 फरवरी को हाई कोर्ट को रिपोर्ट भी देनी है.Image result for अल्लाहाबाद कोर्ट इमेज

 

क्या कहता है कानून?

ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.

  1. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.
  2. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है.
  3. नियम की उपधारा (2) के अनुसार, राज्य सरकार इस संबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में रियायतें दे सकती है. वह किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि किसी भी परिस्थिति में एक साल में 15 दिन से ज्यादा ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती.

राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.

किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा

इस नियम के अनुसार, सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश:10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं होगी.

रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही रख जा सकता है. जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्घोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमशः 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए.

पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जु्र्माना) सजा दी जा सकती है. साथ ही हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा का प्रावधान अलग से है.

 

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