फिल्म पदमावत विवाद पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर का बयान सामने आया है। पार्रिकर ने कहा है कि मेरा मानना है कि फिल्म सेंसर प्रमाणपत्र अभी तक नहीं दिया गया है। अगर फिल्म के प्रदर्शन से कानून और व्यवस्था बनाए रखने में कोई बाधा आती है तो हमें अस्थायी उपाय के रुप में कुछ कदम उठाने होंगे। अगर फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दिया है तो हम इसके प्रदर्शन पर रोक नहीं लगाएंगे।
पार्रिकर ने आगे कहा कि अगर बोर्ड द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया है, तो हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता। यह दिसंबर के अंत में जारी किया गया था जब गोवा में एक अराजक स्थिति थी। मैं इसे एक मुद्दा के रूप में नहीं देखता जैसा कि आप इसे देखते हैं। मेरा मुद्दा कानून और व्यवस्था है।
बता दें कि ‘पद्मावती’ को सेंसर बोर्ड से हरी झंड़ी मिली है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म ‘पद्मावती’ में किसी कट की सिफारिश नहीं की है और फिल्म को पांच संशोधनों के साथ यू/ए प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है और फिल्म-निर्माता से कहा है कि फिल्म का नाम बदलकर ‘पद्मावत’ कर दिया जाए। फिल्म के शीर्षक ‘पद्मावती’ के संबंध में सेंसर बोर्ड ने अध्यक्ष प्रसून जोशी ने अपने बयान में कहा था कि इसे बदल कर ‘पद्मावत’ कर दिया जाए, क्योंकि उन्होंने इसे इतिहास से नहीं, बल्कि काल्पनिक कहानी ‘पद्मावत’ से प्रेरणा लेकर बनाई है।
सीबीएफसी ने इसके अलावा निर्माताओं से ‘घूमर’ गाने में चरित्र के मुताबिक बदलाव करने की सिफारिश की है। जोशी ने कहा, उन्होंने “ऐतिहासिक स्थानों के गलत और भ्रामक संदर्भ में संशोधन की मांग की है।” इसके अलावा उन्होंने निर्माताओं से एक डिस्क्लेमर जोड़ने की मांग की है, “जिसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि फिल्म किसी भी तरह सती प्रथा का महिमामंडन नहीं करती।”