सुप्रीम कोर्ट के ‘सिस्टम’ पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत के 4 मौजूदा न्यायाधीशों की पिछले दिनों बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस का मुद्दा SC में पहुंच गया है। इस संबंध में एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि वह जजों की प्रेस कांफ्रेंस में उठाए गए मुद्दों के प्रकाशन, उन पर चर्चा या उनका राजनीतिकरण करने से मीडिया को रोक दे। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस पर सुनवाई से गुरुवार को इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई तभी करेगी, जब शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री इस याचिका को दर्ज करके इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठतम जजों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने SC के ‘सिस्टम’ पर सवाल उठाते हुए बीते शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस की थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘सिस्टम’ पर सवाल उठाते हुए महत्वपूर्ण मामलों को सुनवाई के लिए विभिन्न पीठों को ‘मनमाने ढंग से आवंटित’ करने को लेकर नाराजगी जताई थी। जजों के इस रुख को सीधे तौर पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा गया।
यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अपनी तरह की पहली घटना थी, जब सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत मौजूदा न्यायाधीशों ने प्रेस कांफ्रेंस की हो। सुप्रीम कोर्ट में पैदा हुए संकट का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।
इसी संबंध में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी और इसमें अनुरोध किया गया था कि कोर्ट 12 जनवरी को हुए इस संवाददाता सम्मेलन की विषय वस्तु के प्रकाशन, उस पर चर्चा, उसका राजनीतिकरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दे, ताकि संस्था को और नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके।