आखिर क्या वजह है कि देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के बावजूद उत्तर प्रदेश स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़ गया? अब जबकि स्मार्ट सिटी के लिए शहरों के नाम चयनित कर लिए गए हैं, सबकी जुबां पर यह सवाल है। इसके जवाब में जहां तत्कालीन सपा सरकार की उदासीनता उभरकर सामने आई है, वहीं व्यूह रचना की चूक भी उजागर हुई है।
केंद्र सरकार ने जब देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना में रखने का निर्णय लिया था उस समय इसमें यूपी के 13 शहर शामिल होने की बात थी, लेकिन यूपी में तत्कालीन सपा सरकार 14 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना में शामिल करवाना चाहती थी। मार्किंग के अनुसार 12 शहर तो तय हो गए लेकिन 13वें नंबर पर रायबरेली व मेरठ दो शहर आ गए। इस कारण प्रदेश सरकार ने 14 शहरों के प्रस्ताव केंद्र को भेजे। चार चरण में देश में चुने गए 90 शहरों में यूपी के सात शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में चुना जा चुका है।
अंतिम चरण में 10 स्मार्ट शहरों के लिए यूपी ने गाजियाबाद, रामपुर, रायबरेली, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद व सहारनपुर के नाम भेजे गए थे। सरकार को उम्मीद थी कि यूपी के छह से सात शहर चुन लिए जाएंगे। लेकिन स्मार्ट सिटी मिशन के कंपटीशन में यूपी के शहर पिछड़ गए। केवल तीन शहर बरेली, मुरादाबाद व सहारनपुर ही इसमें आ सके। अंतिम राउंड में गाजियाबाद, मेरठ, रायबरेली व रामपुर बाहर हो गए।
स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना में तत्कालीन सपा सरकार की लापरवाही भी एक प्रमुख कारण के रूप में सामने आई है। दूसरे राज्यों ने होशियारी दिखाते हुए पहले अपने यहां की राजधानी को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल करने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा था। बाद में सरकार ने सभी राजधानी को इसमें शामिल करने का निर्णय लिया। इस कारण कई राज्यों को कोटे से ज्यादा शहर स्मार्ट सिटी मिशन में मिल गए। बिहार में तीन का कोटा था लेकिन उनके यहां चार शहर चुन लिए गए हैं। कर्नाटक, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश में भी कोटे से अधिक शहर चुन लिए गए हैं।
योगी ने भी की अंत तक कोशिश : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच और शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल कराने की बात कही थी। इसके लिए उन्होंने अंत तक कोशिश की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को पत्र भी लिखा था। बाद में मुख्यमंत्री ने वेंकैया नायडू से मुलाकात कर मेरठ, रायबरेली, गाजियाबाद, सहारनपुर व रामपुर को भी स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल करने की मांग की थी।
स्मार्ट सिटी से यह होंगे फायदे
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत प्रत्येक नागरिक को किफायती घर, आधारभूत सुविधा, 24 घंटे पानी एवं विद्युत आपूर्ति, शिक्षा के पर्याप्त विकल्प, सुरक्षा की आधुनिक सुविधा, मनोरंजन और खेलकूद के साधन सहित अच्छे अस्पताल के अलावा आसपास के क्षेत्रों से हाईस्पीड कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है।
राज्य सरकार की कोशिश रही है कि प्रदेश के सभी 14 शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित कर लिया जाए। इस संबंध में केंद्र को पत्र भी लिखा गया था। शुक्रवार को तीन और शहरों के चुने जाने की जानकारी मिली है। आगे भी उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि शेष अन्य शहर भी स्मार्ट सिटी के लिए चुन लिए जाएं।
– सुरेश खन्ना, नगर विकास मंत्री
स्मार्ट सिटी मिशन में यूपी के 10 शहर चुन लिए गए हैं। हमें तीन और शहर चुने जाने की उम्मीद थी लेकिन हम दूसरे राज्यों से पीछे रह गए। हमारे प्रस्ताव पर चर्चा हुई लेकिन हर राज्य की राजधानी को चुने जाने के केंद्र सरकार के फैसले से कई राज्य आगे निकल गए। हमारे प्रस्ताव में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी।
– मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव, नगर विकास