अजय चौधरी
हरियाणा के फरीदाबाद में लगने वाले सूरजकुंड मेले में हार बार एक थीम स्टेट होता है। जो भी राज्य थीम राज्य बनता है वहां जो प्रसिद्ध जगह होती है उसका द्वार बना दिया जाता है। या फिर उसका एक ढांचा जरुर खडा कर दिया जाता है। ताकि लोग आए उसे देखें और उसके साथ तस्वीर ले सकें और वहां की संस्कृती से रुबरू हो सकें। पिछले 30 सालों से ये सिलसिला जारी है।
वैसे मेले को 31 साल हो गए हैं ये 32 वां मेला है। पहला मेला सन् 87 में लगा था उस मेले में कोई थीम स्टेट नहीं था। फिर दूसरा मेला लगा सन् 89 में और पहला थीम स्टेट बना राजस्थान, मेले में राज्स्थान का शेखावटी द्वार बनाया गया। फिर पश्चिम बंगाल का विष्णुपुर द्वार,केरल का कोट्याबलम द्वार, छत्तीसगढ़ का धनतेसवरी देवी द्वार,कर्नाटक का होयशाला, हैदराबाद की चार मिनार, जम्मु कश्मीर का खानकाह ए मौला द्वार। दिल्ली पडोसी राज्य होने के कारण अभी तक कभी थीम स्टेट नहीं बना, बनता तो कुतुब मीनार या इंडिया गेट भी सूरजकुंड में जरुर होता। मतलब लिस्ट बहुत लंबी है। इतने सारे राज्य थीम स्टेट बने पर कभी ये नहीं देखा गया कि ये द्वार जो हम यहां बना रहे हैं वो वहां उस राज्य में किस धर्म के लोगों ने बनवाया था।
लेकिन इस बार मेले में थीम स्टेट उत्तरप्रदेश क्या बना मेले में राम राज्य ही आ गया। आना भी चाहिए राम लला का जन्म जहां हुआ वहां को दिखाना कोई गलत भी नहीं। मेले में राम द्वार है, उसपर राम जी का धनुष और पताका है। मुख्य चौपाल पर राम मंदिर है पर कृष्ण भगवान छोटी चौपाल पर हैं। देखा जाए तो पूरा मेला भगवा रंग में रंगा नजर आ रहा है।
अब जब मेले का थीम स्टेट उत्तरप्रदेश है ऐसे में मेले में ताजमहल होना लाजमी होना चाहिए था। दुनिया के सात अजूबों में से एक जिसपर पूरा देश गर्व करता है वो मेले में कहीं दिखाई नहीं देता। तब जब उत्तरप्रदेश टूरिजम इस बार मेले की मेजबानी कर रहा है। दूसरी और यूपी टूरिजम यूपी में घूमने आने का अनुरोध करती नजर आ रही है। वो बता रही है कूंभ मेला,बनारस घाट,अयोध्या आदि। पर ताज उसकी नजर में घूमने लायक ही नहीं बचा।
मैं जब मेले में गया तो ध्यान नहीं दिया इस बात पर, फिर खबर के लिए ताजमहल की फोटो जरुरी हुई तो वरिष्ठ फोटोग्राफर राकेश कश्यप जी को ताज की फोटो लेने को कह दिया। वो सूरजकुंड मेले में घंटो भटकते रहे पर ताज कहीं नजर नहीं आया। मुझे लगा इतने से भी काम नहीं चलेगा तो अब जब यह लिख रहा था तो अपने साथी अजय वर्मा को ही फोन लगा बैठा कि कहीं ताज दिखा क्या मेले में? अजय ने बताया हां ताजमहल है तो सही वो मुख्यचौपाल के पीछे दिवार पर छोटा सा ताजमहल उकेरा हुआ है। बमुश्किल दिखता है। मतलब जिसे स्वागत आपके स्वागत में तैयार रहना चाहिए था वो एक कोने में दीवार से चिपका पडा है।
एक तरफ जहां जिस ताज पर हम सब गर्व करते हैं, देशी विदेशी पर्यटक सहित किसी भी देश का राष्ट्रपति आए वो ताजमहल जरुर जाने की इच्छा रखता है। लेकिन वो ताज अब एक राजनीतिक पार्टी के एजेंडे की वजह से सिर्फ एक धर्मविशेष का हो कर रह गया है और यूपी पर्यटन की नजर में शायद अब वो घूमने लायक भी नहीं रह गया है तभी तो इतने बडे इवेंट में भी उसे दर्शाया नहीं गया है। वहीं मेले की प्रेस वर्ता में हरियाणा के पर्यटन मंत्री रामबिलास शर्मा कह गए थे कि जिसे भगवा से एलर्जी है वो इस बार सूरजकुंड जरुर आए। अब शर्मा जी को बेमतलब ऐसा कहने की क्या जरुरत आन पडी थी ये तो वो ही जानें। पर ताजमहल जैसे ऐतिहासिक स्थल को हमने धर्मों में बंटता पहली बार देखा।