महाराष्ट्र के पुणे से एक अद्भुत मामला सामने आया है। एक युवक की जान कैंसर की वजह से चली गई लेकिन उसके स्टोर किए सीमन से दो बच्चे पैदा हुए हैं। उसका परिवार अब बहुत खुश है और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा कर रहा है। इस परिवार ने बेटे की मौत से पहले ही उसका सीमन सुरक्षित रखवा लिया था। उसकी मौत के दो साल बाद उन्होंने आईवीएफ तकनीक और सेरोगेसी के जरिये अपने पोतों का जन्म करवाया। जहां एक तरफ ये विज्ञान का चमत्कार लग रहा है, वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों ने इसपर सवाल खड़े किए हैं।
पुणे की 48 वर्षीय महिला राजश्री पाटिल के बेटे की मौत दो साल पहले ब्रेन कैंसर से हो गई थी। अपने 27 साल के बेटे को खो देने के बाद उन्होंने गमज़दा होने के बजाय उसके सुरक्षित रखे गए स्पर्म का सरोगेसी के जरिये इस्तेमाल किया। सरोगेट मदर ने इसके जरिये जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। राजश्री को उनके बेटे की निशानियों के रूप में बेटा प्रथमेश और बेटी प्रीशा मिले हैं। इसी 12 फरवरी को इनका जन्म हुआ है।
राजश्री ने बताया कि मेरा बेटा प्रथमेश पढ़ने में बहुत होशियार था। वह जर्मनी में इंजीनियरिंग की मास्टर्स डिग्री कर रहा था तभी उन्हें चौथे स्टेज के ब्रेन कैंसर का पता चला। डॉक्टरों ने उसकी कीमोथेरेपी और रेडिएशन से पहले स्पर्म सुरक्षित रखने को कहा प्रथमेश ने अपनी मां और बहन को अपनी मौत के बाद क्राइपोप्रिजर्व सीमेन सैंपल के उपयोग के लिए नामांकित किया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने जर्मनी के सीमेन बैंक से संपर्क साधा वहां से बेटे के सीमेन को वापस लाकर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन(IVF) के लिए एक अस्पताल से संपर्क किया। इसके बाद आज उनकी गोद में नाती और नातिन हैं।
बच्चों के जन्म पर छिड़ी बहस
चेन्नई के इंडियन सेरोगेसी लॉ सेंटर के हरि जी रामासुब्रमण्यम का कहना है कि यहां 4 बड़े नैतिक सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला, क्या युवक की मौत के बाद उसके सीमन से बच्चे पैदा करने के लिए उसकी इजाजत ली गई। दूसरा, दादा-दादी बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित करेंगे। तीसरा, शख्स को माता-पिता बनने का मौलिक अधिकार है लेकिन दादा-दादी इस व्याख्या में नहीं आते? चौथा, बच्चों के सामान्य पेरेंटिंग पाने के अधिकार का क्या होगा?