उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में गोरखपुर के दंगे को भड़काने के आरोप में मुकदमा चलाने से इंकार कर दिया। इस आरोप को कोर्ट ने सही नहीं माना है। इसके साथ ही सीबीआई जांच की मांग को भी खारिज कर दिया।
Allahabad High Court rejects petition seeking re investigation into Chief Minister Yogi Adityanath's alleged role in the 2007 riots in Gorakhpur pic.twitter.com/wS4vhLfpBc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 22, 2018
बता दें कि 2007 के गोरखपुर दंगे के मामले में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ प्रदेश सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था, जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती दी गई थी। परवेज परवाज और अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्णमुरारी और न्यायमूर्ति एसी शर्मा की पीठ ने सुनवाई की। इस याचिका को नवबंर 2008 में इस याचिका को मोहम्मद असद हयात और परवेज नाम के शख्स ने दायर किया था। इस याचिका में योगी आदित्यनाथ को भड़काऊ भाषण देने का जिम्मेदार ठहराया गया था। 2007 में गोरखपुर में भड़के दंगे में एक शख्स की मौत हो गई थी। इस मामले में FIR दायर करने वाला परवेज गोरखपुर का निवासी है, जबकि असद हयात केस का चश्मदीद था।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें योगी और दूसरे के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने का फैसला दिया गया था। बता दें कि 2007 के गोरखपुर दंगों के बाद यूपी पुलिस ने चार्जशीट दायर करते हुए कहा था कि आरोपी ने धारा 153 A के तहत साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने का काम किया है। आरोपियों पर मुकदमा चलाने से पहले राज्य सरकार से इजाजत की जरूरत थी। तत्कालीन भाजपा सांसद योगी को तब गिरफ्तार किया गया था और 10 दिनों तक जेल में रखा गया था। अदालत से जमानत मिलने पर वह बाहर आए थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकार ने एक दशक पुराने दंगे के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी । भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत दर्ज किए गए भड़काऊ भाषण के इस मामले में सुनवाई राज्य सरकार की मंजूरी मिलने पर ही हो सकती थी।