देश के अलग-अलग राज्यों की 4 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। विपक्षी दलों और बीजेपी दोनों के लिए ये उपचुनाव बहुत महत्व रखते हैं। पर अगर बीजेपी तीनों सीट हार भी जाती हैं, ती भी उसके दबदबे पर कोई फरक नहीं पड़ेगा। वहीं बीजेपी के पास उसके सहयोगी दलों के बिना भी बीजेपी के पास बहुमत के आंकड़े हैं।
लोकसभा की मौजूदा 536 सीटों में से बीजेपी के पास 272 सीटें हैं, जबकि सदन की 8 सीटें खाली पड़ी हैं। इन आठ में से 4 सीटों के नतीजे आज आ रहे हैं, जिनमें बीजेपी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रहीं है। आज के नतीजों के बाद भले ही लोकसभा को सीटों की संख्या 540 हो जाएगी पर आपको बता दे कि अगर बीजेपी तीनों सीट हार भी जाती है, फिर भी उसके पास बहुमत से एक सीट ज्यादा ही रहेगी। बीजेपी के पास 272 सीटें हैं जबकि बहुमत के लिए जरूरी 271 सीट ही चाहिए। अगर बीजेपी ये तीन सीट जीत जाती है, तो उसके पास 275 सीटें हो जाएंगी जो कि बहुमत से 4 सीटें ज्यादा होगी।
देश के अलग-अलग राज्यों की 4 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। विपक्षी दलों और बीजेपी दोनों के लिए ये उपचुनाव बहुत महत्व रखते हैं। पर अगर बीजेपी तीनों सीट हार भी जाती हैं, ती भी उसके दबदबे पर कोई फरक नहीं पड़ेगा। वहीं बीजेपी के पास उसके सहयोगी दलों के बिना भी बीजेपी के पास बहुमत के आंकड़े हैं।लोकसभा की मौजूदा 536 सीटों में से बीजेपी के पास 272 सीटें हैं, जबकि सदन की 8 सीटें खाली पड़ी हैं। इन आठ में से 4 सीटों के नतीजे आज आ रहे हैं, जिनमें बीजेपी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रहीं है। आज के नतीजों के बाद भले ही लोकसभा को सीटों की संख्या 540 हो जाएगी पर आपको बता दे कि अगर बीजेपी तीनों सीट हार भी जाती है, फिर भी उसके पास बहुमत से एक सीट ज्यादा ही रहेगी। बीजेपी के पास 272 सीटें हैं जबकि बहुमत के लिए जरूरी 271 सीट ही चाहिए। अगर बीजेपी ये तीन सीट जीत जाती है, तो उसके पास 275 सीटें हो जाएंगी जो कि बहुमत से 4 सीटें ज्यादा होगी।लोकसभा की जिन 4 सीटों के नतीजे आ रहे हैं, उनमें से 3 सीटों पर पहले बीजेपी का ही कब्जा था। ऐसे में पार्टी इन सीटों को दोबारा अपने पाले में जरूर लेना चाहेगी। साथ ही यूपी की फूलपुर और गोरखपुर जैसी अहम सीटों पर मिली हार पर मरहम लगाने के लिए बीजेपी के लिए कैराना सीट जीतना जरूरी होगा। इस सीट पर विपक्षी एकजुटता की भी परीक्षा है क्योंकि यहां बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस, बसपा, सपा के समर्थन से आरएलडी ने अपना उम्मीदवार उतारा है।खास बात यह है कि 2014 के बाद से देश में लोकसभा की 21 सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 11 सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं, लेकिन अब इनमें से महज चार सीटें ही बीजेपी बरकरार रख सकी है। ऐसे में उपचुनावों में मिल रही लगातार हार को रोकना भी बीजेपी के लिए चुनौती साबित होगा।आज जिन सीटों पर नतीजे आ रहे हैं वहां बीजेपी को तीनों ही सीटों पर विपक्ष से कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है। कैराना में बीजेपी के सामने आरएलडी-एसपी गठबंधन समेत पूरा विपक्ष एकजुट है। जबकि पालघर और गोंदिया-भंडारा में उसे कांग्रेस-एनसीपी का सामना करना पड़ रहा है।2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अभी तक जो तस्वीर उभर रही है। उससे साफ है कि बीजेपी की अगुवाई में चल रहे एनडीए के सामने अच्छी-खासी मुश्किल खड़ी हो सकती है। गोरखपुर-फुलपुर में जहां बीएसपी और सपा ने मिलकर बीजेपी को हरा दिया तो कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर कांग्रेस ने सरकार बना ली और अब इस गठबंधन को 2019 तक ले जाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस, सपा, बीएसपी और आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी तबस्सुम को पूरा समर्थन दिया है। सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उनकी बेटी मृगांका सिंह को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है।
लोकसभा की जिन 4 सीटों के नतीजे आ रहे हैं, उनमें से 3 सीटों पर पहले बीजेपी का ही कब्जा था। ऐसे में पार्टी इन सीटों को दोबारा अपने पाले में जरूर लेना चाहेगी। साथ ही यूपी की फूलपुर और गोरखपुर जैसी अहम सीटों पर मिली हार पर मरहम लगाने के लिए बीजेपी के लिए कैराना सीट जीतना जरूरी होगा। इस सीट पर विपक्षी एकजुटता की भी परीक्षा है क्योंकि यहां बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस, बसपा, सपा के समर्थन से आरएलडी ने अपना उम्मीदवार उतारा है।
खास बात यह है कि 2014 के बाद से देश में लोकसभा की 21 सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 11 सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं, लेकिन अब इनमें से महज चार सीटें ही बीजेपी बरकरार रख सकी है। ऐसे में उपचुनावों में मिल रही लगातार हार को रोकना भी बीजेपी के लिए चुनौती साबित होगा।
आज जिन सीटों पर नतीजे आ रहे हैं वहां बीजेपी को तीनों ही सीटों पर विपक्ष से कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है। कैराना में बीजेपी के सामने आरएलडी-एसपी गठबंधन समेत पूरा विपक्ष एकजुट है। जबकि पालघर और गोंदिया-भंडारा में उसे कांग्रेस-एनसीपी का सामना करना पड़ रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अभी तक जो तस्वीर उभर रही है। उससे साफ है कि बीजेपी की अगुवाई में चल रहे एनडीए के सामने अच्छी-खासी मुश्किल खड़ी हो सकती है। गोरखपुर-फुलपुर में जहां बीएसपी और सपा ने मिलकर बीजेपी को हरा दिया तो कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर कांग्रेस ने सरकार बना ली और अब इस गठबंधन को 2019 तक ले जाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस, सपा, बीएसपी और आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी तबस्सुम को पूरा समर्थन दिया है। सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उनकी बेटी मृगांका सिंह को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है।