हरियाणा सरकार का खिलाडियों को उनकी कमाई सरकार के खाते में जमा कराने के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद हुई किरकिरी के बाद खेल एंव युवा विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका ने कहा कि उनका फैसला गलत समझ लिया गया है। वो खेल और खिलाडियों के कल्याण की बात कर रहे थे।
खेमका ने कहा कि ”राज्य सरकार के फैसले को गलत ढंग से परिभाषित किया जा रहा है। इस फैसले की भावना को समझना होगा। हमने पहली बार खिलाडिय़ों को प्रोफेशनल खेलने तथा विज्ञापन करने की अनुमति प्रदान की है, जो खिलाडिय़ों के हक में बड़ा फैसला है। पेशेवर खेलों में खिलाड़ी किसी देश को नहीं बल्कि पैसे को चुनता है। बीसीसीआइ जब किसी खिलाड़ी को खिलाती है तो उसे पैसा देती है। आइपीएल में जब कोई खिलाड़ी खुद खेलता है तो उसकी बोली लगती है। बस यही तकनीकी अंतर है। अब खिलाड़ी खुलकर खेलें और विज्ञापन करें। हम सहयोग करेंगे। बस, उन्हें कुछ हिस्सा खेल व खिलाडिय़ों के कल्याण के लिए देना होगा।
क्या है सरकार का निर्णय-
सरकार का निर्णय है कि जो खिलाड़ी सरकारी नौकरी कर रहा है और प्रोफेशनल खेल रहा है और साथ में किसी कंपनी के लिए विज्ञापन भी कर रहा है अगर वो इस दौरान वैतनिक अवकाश पर है तो विज्ञापन से होने वाली कमाई का एक तिहाई हिस्सा उसे स्पोट्र्स काउंसिल को देना होगा। वहीं दूसरे पाईंट के अनुसार अगर खिलाडी छुट्टी पर नहीं है और इस दौरान वो कोई विज्ञापन करता है या प्रोफेशनल खेलता है तो इन सब से प्राप्त वो अपनी सारी आय सरकार को दे।
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